मध्य प्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस के बीच राम के सहारे राज हासिल करने की होड़

Hindi Madhya Pradesh

DMT : भोपाल  : (12 मई 2023) : –

आगामी विधानसभा के चुनावों से पहले मध्य प्रदेश में एक बार फिर ‘राम गमन पथ’ को लेकर दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच वाक्-युद्ध छिड़ गया है.

दोनों ही दल इस पथ को विकसित करने का श्रेय लेने की होड़ में लगे हुए हैं. मध्य प्रदेश में इस पथ को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच जमकर बयानबाज़ी हो रही है और ये तब शुरू हुई जब चार मई को मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल ने इस पथ को विकसित करने के लिए एक ट्र्स्ट के गठन को मंज़ूरी दे दी.

कांग्रेस का दावा है कि इस परियोजना के लिए उसने ही पहल की थी.

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पीयूष बबेले ने बीबीसी को बताया, “ये हमारी शुरू की हुई परियोजना है. हमने पहल की थी. परियोजना के पहले चरण के लिए बजट को भी स्वीकृति दे दी गयी थी. मगर सरकार चली गई. भाजपा ने इतने सालों में कुछ नहीं किया. अब चुनाव सर पर आ गए हैं तो वो अब सिर्फ़ न्यास के गठन को ही मंज़ूरी दे रहे हैं. ये सब चुनाव को देखते हुए कर रहे हैं. कमलनाथ के मंत्रिमंडल के निर्णय को भाजपा की सरकार ने दरकिनार कर दिया था.”

लेकिन भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि ये केंद्र सरकार की परियोजना है जिसमें राज्य सरकार को सिर्फ़ 40 प्रतिशत खर्च करना है जबकि बाक़ी 60 प्रतिशत केंद्र सरकार ही ख़र्च करेगी. पार्टी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अयोध्या से लेकर चित्रकूट तक जीर्णोद्धार करके इसे भव्य रूप दिया जा रहा है.

केंद्र और राज्य सरकार करेंगी ख़र्च

वैसे तो ये योजना 16 साल पहले बनाई गई थी कि अपने 14 साल के वनवास में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जिन जगहों से होकर गुज़रे थे या जिन जगहों के बारे में मान्यता है कि उन्होंने वहाँ पड़ाव डाला था, उन जगहों को श्रद्धालुओं के लिए विकसित किया जाएगा.

इनमें उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, तमिलनाडु जैसे राज्यों की जगहें शामिल हैं.

हालांकि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस पर काम ज़ोर-शोर से चल रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश में अभी तक इसकी शुरुआत नहीं हुई है. अविभाजित मध्य प्रदेश का इस ‘रामायण सर्किट’ में बहुत महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वनवास के 14 सालों में से 12 साल के आसपास का समय राम, सीता और लक्ष्मण ने इन्हीं इलाकों से गुज़रते हुए बिताया था.

मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद एक बड़ा क्षेत्र अब छत्तीसगढ़ में है जिसे भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार विकसित कर रही है.

छत्तीसगढ़ में काम ज़ोरों पर

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 27 किलोमीटर पर चंदखुरी है जिसे राम की माता कौशल्या का जन्मस्थान माना जाता है. मौजूदा कांग्रेस की सरकार ने वहाँ माता कौशल्या के पहले से मौजूद मंदिर को और भी भव्य बनाया है.

जब ये भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया था तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को न्योता भेजा कि वो आकर इस मंदिर के दर्शन करें. रायपुर प्रवास पर गए हुए भागवत ने न्योता स्वीकार किया और मंदिर के दर्शन भी किए. उन्होंने राज्य सरकार के इस प्रयास की तारीफ़ भी की थी.

चंदखुरी में माता कौशल्या का मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था. यहाँ भगवान श्री राम को गोद में लिए हुए माता कौशल्या की प्राचीन मूर्ति पहले से ही मौजूद है. मान्यताओं के अनुसार भगवान राम जब वनवास के बाद लौट रहे थे तो उनका इसी स्थान पर राज्याभिषेक भी किया गया था.

मध्य प्रदेश में न्यास बना

मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, “कैबिनेट ने ‘श्री रामचंद्र गमन पथ न्यास’ के गठन का निर्णय लिया है, जो होने वाले विभिन्न विकास कार्यों की देखरेख करेगा. राम हमारे रोम-रोम में रमे हैं. वनवास के समय प्रभु श्रीराम जिन मार्गों से होकर गुजरे, वहाँ हम राम गमन पथ बना रहे हैं. देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए हम प्रतिबद्ध हैं.”

मंत्रिमंडल के फैसले की पत्रकारों को जानकारी देते हुए राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस ‘न्यास’ या ट्रस्ट में कुल 33 सदस्य होंगे, जिनमें से पाँच लोग ग़ैर-सरकारी होंगे.

ट्रस्ट के सदस्यों और कर्मचारियों की तनख्वाह और दूसरे प्रशासनिक खर्च के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया गया है.

पिछले एक दशक से ज़्यादा समय से मध्य प्रदेश में राम गमन पथ के निर्माण की बात चल तो रही है और इसके लिए कई सर्वेक्षण और अध्ययन भी हुए हैं.

राज्य के 10 जिलों में अलग-अलग स्थानों को इस योजना के तहत विकसित किया जाएगा जिसमे मंदिरों और नदी के घाटों के जीर्णोद्धार से लेकर श्रद्धालुओं के रहने और आने-जाने की व्यवस्था भी विकसित की जानी है.

ये ज़िले हैं – सतना, विदिशा, होशंगाबाद, जबलपुर, कटनी, शहडोल, अनूपपुर, पन्ना, उमरिया और रीवा.

घोषणा 17 साल पहले हुई थी

वर्ष 2006 में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राज्य में ‘राम वन गमन पथ’ को विकसित करने की औपचारिक घोषणा ज़रूर की थी मगर सरकार पर आरोप लगने लगे कि वो इसको लेकर कभी गंभीर नहीं है.

पिछले विधानसभा के चुनावों के दौरान भी दोनों दलों ने ‘राम गमन पथ’ को विकसित करने की बात को चुनावी मुद्दा बनाया.

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में भी इसका उल्लेख किया था. बतौर मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए 22 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया था.

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता हितेश वाजपेयी का कहना है कि ऐसा नहीं है कि उनकी सरकार ने इस परियोजना को लेकर कुछ नहीं किया. वो कहते हैं कि सरकार ने परियोजना के पहले चरण के लिए 300 करोड़ रुपयों के बजट का प्रावधान किया है.

कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए वाजपेयी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “राजनीतिक दल चुनाव के लिए काम करते हैं और राजनीति उसी के इर्द-गिर्द घूमती है. कांग्रेस अपनी राजनीति करती है और भाजपा अपनी. कौन वायदों की ‘डिलीवरी’ करता है? ये महत्वपूर्ण है. हम वायदों की ‘डिलीवरी’ करते रहे हैं. राम वन गमन पथ और रामायण ‘सर्किट’ को विकसित करने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी.”

राज्य के मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद धार्मिक ट्रस्ट एवं धर्म संबंधी विभाग ने राम वन गमन पथ का दायित्व अब संस्कृति विभाग को सौंप दिया है. इस विभाग के अंतर्गत ‘आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास’ के माध्यम से ये काम किया जाएगा.

वरिष्ठ पत्रकार गिरजा शंकर कहते हैं कि उज्जैन के महाकाल मंदिर को जिस तरह से विकसित किया गया और समय से पहले कर दिया गया उसी तरह सरकार राम वन गमन पथ के विकास के लिए भी कर सकती है.

उनका कहना था कि महाकाल मंदिर को विकसित करने के लिए पूरी परियोजना के एक ‘राजस्व का मॉडल’ भी बनाया गया जो सफल रहा. उसी तरह अगर राम वन गमन पथ का भी ‘राजस्व मॉडल’ बनाया जाता तो ये परियोजना अब तक बन गई होती.

बहरहाल, इस चुनावी साल में दोनों पार्टियाँ राम का काम करने वाली पार्टी के तौर पर वोट बटोरने की योजना पर काम करती दिख रही हैं, कम-से-कम कांग्रेस की ये कोशिश दिख रही है वह रामकाज का श्रेय बीजेपी को अकेले न लेने दे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *