महाराष्ट्र की प्राचीन मस्जिद पर छिड़ा विवाद, डीएम ने प्रवेश पर लगाई रोक

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DMT : महाराष्ट्र  : (16 जुलाई 2023) : – महाराष्ट्र के जलगांव में हिंदू समूहों के दावों के बाद ज़िला प्रशासन ने एक प्राचीन मस्जिद में लोगों के आने पर रोक लगा दी है.

ज़िला प्रशासन ने 11 जुलाई को एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए मस्जिद में नमाज़ पढ़ने पर रोक लगा दी थी.

एक स्थानीय हिंदूवादी समूह पांडववाड़ा संघर्ष समिति ने दावा किया है कि मुंबई से क़रीब 350 किलोमीटर दूर इरानडोल में स्थित ये इमारत मंदिर जैसी दिखती है. समिति ने स्थानीय मुस्लिम समुदाय पर इस इमारत पर क़ब्ज़ा कर इसे मस्जिद में तब्दील करने के आरोप भी लगाए हैं.

वहीं मस्जिद का प्रशासन संभालने वाली जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट का कहना है कि उसके पास मस्जिद के मालिकाना हक़ से जुड़े दस्तावेज़ हैं जो 1861 के बाद के हैं.

जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट ने बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बैंच में 11 जुलाई को पारित किए गए ज़िलाधिकारी अमन मित्तल के आदेश के ख़िलाफ़ याचिका भी दायर की है.

ट्रस्ट के अधिवक्ता एडवोकेट एसएस काज़ी के मुताबिक़ पहले दिन ही याचिका पर सुनवाई हुई और फिर अगले दिन भी सुनवाई हुई. अधिवक्ता के मुताबिक़ अदालत ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी.

वहीं ज़िलाधिकारी अमन मित्तल ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए 18 जुलाई को ही दोनों पक्षों के साथ वार्ता रखी है.

डीएम ने क्या कहा

ज़िलाधिकारी ने अख़बार को बताया, “हमने अभी अंतिम आदेश नहीं दिया है. पहली सुनवाई में, क़ानून और व्यवस्था के मक़सद से हमने अंतरिम आदेश पारित किया था. दूसरी सुनवाई 13 जुलाई को हुई थी जो दो घंटों तक चली. इसमें वक्फ़ बोर्ड और मस्जिद ट्रस्ट के सदस्य शामिल थे. अब अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी.”

हिंदूवादी समूह 1980 के दशक से ही इस मस्जिद पर दावा ठोंकते रहे हैं. उनका कहना है कि ये इमारत पांडवों से संबंधित है जिन्होंने इस क्षेत्र में समय बिताया था. ताज़ा हालात पांडववाड़ा संघर्ष समिति के ज़िलाधिकारी के समक्ष 18 मई को पेश एक आवेदन के बाद पैदा हुए हैं.

समिति ने इस स्थान से मस्जिद को हटाये जाने की मांग की है और दावा किया है कि ये इमारत प्राचीन मंदिर जैसी दिखती है.

ज़िला प्रशासन ने अपने अंतरिम आदेश में आम लोगों के मस्जिद में नमाज़ पढ़ने पर रोक लगा दी है और मस्जिद प्रशासन से मस्जिद की चाबियां ज़िला प्रशासन को सौंपने के लिए कहा है. हालांकि दो लोगों को नियमित तौर पर मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दी गई है.

वहीं मस्जिद समिति ने आरोप लगाया है कि ज़िलाधिकारी ने अंतिरम आदेश पारित करने से पहले उसके पक्ष को नहीं सुना और इकतरफ़ा आदेश पारित कर दिया.

महाराष्ट्र वक्फ़ बोर्ड के मुताबिक ये मस्जिद 2009 के बाद से वक्फ़ बोर्ड की पंजीकृत संपत्ति है.

दस्तावेज़ों में इस मस्जिद का 1861 के बाद से रिकॉर्ड मिलता है. वक्फ़ बोर्ड ने इस मामले में सुनवाई करने के ज़िलाधिकारी के अधिकार को भी चुनौती दी है.

मोदी-मैक्रों का संशोधित बयान जारी, रक्षा सौदे से जुड़े कई अहम बिंदू हटाये

भारत और फ़्रांस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों के बीच हुई वार्ता के बाद जारी शुरुआती बयान में संशोधन किया है. शुक्रवार को जारी संशोधित बयान में रक्षा सौदों से जुड़े कई अहम बिंदुओं को हटा लिया गया है.

साथ ही तीन अतिरिक्त स्कोरपीन पनडुब्बियों के निर्माण से जुड़े बिंदू को भी हटाया गया है.

दोनों देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में साझा कार्य योजना का रोडमैप भी बयान में शामिल किया है. इस क्षेत्र में भारत और फ़्रांस दोनों का ही ख़ासा प्रभाव है.

भारत और फ्रांस ने कहा है कि इस क्षेत्र के राष्ट्रों के विकास के लिए दोनों देश भारत-फ्रांस विकास फंड को अंतिम रूप दे रहे हैं. इस फंड से क्षेत्र के अन्य देशों में सतत विकास परियोजनाओं को फंड किया जाएगा.

साझा बयान में दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के साल 2047 तक के रोडमैप को पेश किया गया है.

पहले बयान में दोनों देशों ने कहा था कि भारत और फ़्रांस लड़ाकू विमान के इंजन के विकास पर साथ मिलकर काम करेंगे और इसके लिए रोडमैप तैयार करेंगे.

इस बयान में कहा गया था कि भारत और फ्रांस “लड़ाकू विमान इंजन के संयुक्त विकास” से “उन्नत वैमानिकी प्रौद्योगिकियों” में “अभूतपूर्व” रक्षा सहयोग जारी रखेंगे.

इसमें कहा गया है कि इस परियोजना पर एक रोडमैप रक्षा अनुसंधान विकास संगठन और फ्रांसीसी इंजन निर्माता साफ़पान मिवरप इल साल के अंत तक तैयार करेंगे. संशोधित बयान से रोडमैप वाली लाइन को हटा दिया गया है

वहीं दूसरी तरफ़ विपक्षी दल 17-18 जुलाई को बैंगलुरू में अपनी दूसरी बैठक करने जा रहे हैं.

अख़बार के मुताबिक़ दिल्ली में बीजेपी की बैठक में शामिल होने के लिए अभी तक 19 राजनीतिक दलों ने सहमति दे दी है.

अख़बार ने ये जानकारी सूत्रों के हवालों से दी है.

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजनीतिक दलों को बैठक में शामिल होने के लिए पत्र लिखे हैं.

उन्होंने एनसीपी में अजित पवार गुट और बिहार में जीतन राम मांझी की पार्टी हिदुस्तानी अवाम मोर्चा को भी बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है.

एनडीए की ये बैठक संसद में मानसून सत्र शुरू होने के दो दिन पहले हो रही है. हालांकि इस बैठक में संसद में समन्यव के बजाये एनडीए को फिर से मज़बूत करने पर चर्चा होगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बीजेपी के नेतृत्व में हो रही इस बैठक में शामिल होंगे.

पवार समूह ने अजित गुट के 12 विधायकों को नोटिस जारी किया

अजित पवार की बग़ावत के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित करने की पहली कोशिशों के तहत पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने एनसीपी के युवा कार्यकर्ताओं के साथ लंबी बैठक की.

इससे तीन दिन पहले ही अजित पवार ने बीजेपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) की सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

रिपोर्टों के मुताबिक एनसीपी के 53 में से 35 विधायकों ने अजित पवार का समर्थन किया है. वहीं अजित पवार गुट में शामिल प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि उनके गुट को 45 विधायकों का समर्थन है.

अव्हाड ने 5 जुलाई को हुई बैठक में शामिल ना होने वाले एनसीपी के 12 विधायकों से 48 घंटे के भीतर जवाब देने के लिए कहा है. ये सभी 12 विधायक अजित पवार के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए थे.

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