यूक्रेन के बांधों पर हमले कितने ख़तरनाक हैं?

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DMT : यूक्रेन  : (07 जून 2023) : –

दक्षिणी यूक्रेन में रूस के कब्ज़े वाले खेरसॉन प्रांत में एक बहुत बड़े बांध को तोड़ने के लिए यूक्रेन ने रूस पर आरोप लगाए हैं.

काखोव्का बांध के निचले हिस्से में रह रहे हज़ारों लोगों पर बाढ़ का ख़तरा मंडरा रहा है.

यूक्रेन में बांधों पर हुए उन कई हमलों में ये सबसे ताज़ा है और यूक्रेन ने कहा है कि युद्ध के दौरान इन हमलों को रूस ने अंजाम दिया है.

काखोव्का बांध कहां है और कितना महत्वपूर्ण है?

काखोव्का बांध नीप्रो नदी पर बनाया गया है जिसमें हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट भी मौजूद है.

युद्ध की शुरुआत में जब रूसी फौजों ने खेरसॉन इलाक़े पर कब्ज़ा किया तो इस बांध को भी उन्होंने अपने नियंत्रण में ले लिया.

जो तस्वीरें आ रही है उनसे पता चलता है कि बांध का एक बड़ा हिस्सा टूट चुका है.

इस बांध के निचले हिस्से में 50 किलोमीटर की दूरी पर ही खेरसॉन शहर है और अधिकारियों का कहना है कि बांध से निकलने वाले पानी की वजह से कम से कम 16,000 के लिए ख़तरा पैदा हो गया है.

फिलहाल बहुत सारे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है.

इस बांध के ऊपरी हिस्से में काखोव्का जलाशय है, जहां से ज़ापोरिज़ज़िया न्यूक्लियर पॉवर प्लांट की कूलिंग के लिए वॉटर सप्लाई की जाती है. यह न्यूक्लियर प्लांट अभी रूस के हाथ में है.

डर ये है कि अगर क्षतिग्रस्त बांध के रास्ते जलाशय से बहुत ज्यादा पानी निकल गया तो रिएक्टरों को ठंडा करने के लिए पानी नहीं बचेगा, जिससे वहां स्थिति बेकाबू हो सकती है.

इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) ने कहा है कि फ़िलहाल ‘न्यूक्लियर प्लांट को कोई ख़तरा नहीं’ है लेकिन वो स्थिति पर नज़र रखे हुए है.

काखोव्का जलाशय से एक नहर के द्वारा रूस के कब्ज़े वाले क्राइमिया को भी पानी की आपूर्ति की जाती है, इसलिए वहां भी समस्या खड़ी हो सकती है.

यूक्रेन की सरकार ने बांध को उड़ाने के लिए रूसी फ़ौजों को ज़िम्मेदार ठहराया है. हालांकि रूस की ओर से नियुक्त एक स्थानीय अधिकारी ने कहा कि गोलाबारी की वजह से हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट का सिर्फ ऊपर का आधा हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है.

सोवियत काल में यूक्रेन में नीप्रो नदी के हिस्से में छह बांध बनाए गए थे. यह नदी बेलारूस के साथ जुड़ी सीमा से लेकर समुद्र तक 1,095 किलोमीटर लंबी है.

नदी पर बने बांधों की शृंखला में काखोव्का अंतिम है.

इन बांधों के बीच में सोवियत इंजीनियरों ने विशाल जलाशय बनाए हैं जिससे शहरों और उद्योगों और सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति की जा सके.

निप्रो नदी पर बने हर बांध में एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट है जिससे बिजली पैदा होती है.

यूक्रेन के बांधों पर इससे पहले कितने हमले हुए हैं?

सितम्बर 2022 में दक्षिणी यूक्रेन में क्रेवेई री शहर में काराचुनिव्स्क जलाशय पर बना बांध मिसाइल हमले में तबाह हो गया था.

इसकी वजह से उस इलाक़े में बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गई और लोगों को उस इलाक़े से खाली कराना पड़ा.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने इस हमले के लिए रूस पर आरोप लगाए और कहा कि यूक्रेन के सुरक्षा बलों के जवाबी हमले का बदला लेने के लिए रूस ने ऐसा किया था.

उन्होंने रूस को एक “आतंकी देश” क़रार दिया जो नागरिक ठिकानों को निशाना बनाता है.

अक्टूबर 2022 में देश के पश्चिमी हिस्से में ज़ापोरिज़ज़िया, क्रेमेंचुक और नीस्टर नदी पर बने हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांधों को मिसाइल से निशाना बनाया गया. यूक्रेन ने इन सभी हमलों के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराया है.

दिसम्बर 2022 और फ़रवरी 2023 में ज़ापोरिज़ज़िया के क़रीब नीप्रो हाईड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट पर मिसाइल हमले हुए. यूक्रेन ने दोबारा रूस पर आरोप लगाए.

किंग्स कॉलेज लंदन में डिफ़ेंस स्टडीज़ में रिसर्च कर रहे डॉ. मैरिना मिरों ने कहा, “यूक्रेन की ऊर्जी क्षमता को नेस्तनाबूद करने की यह रूस की रणनीति है.”

उनके मुताबिक़, “यूक्रेन के हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट 6,000 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं. इन प्लांटों पर हमलों के बाद क़रीब 2,500 मेगावाट क्षमता जा चुकी है.”

यूक्रेन सरकार के अनुसार, यूक्रेन के पूरब में मई 2023 में में दोनेत्स्क के पास कार्लीव्स्की जलाशय पर बना बांध रूसी मिसाइल हमले में ध्वस्त कर दिया गया.

इसकी वजह से आस पास के गावों और वोव्चा नदी में बाढ़ आ गई और लोगों को बड़े पैमाने पर उनके घरों से निकालना पड़ा.

अतीत में भी यूक्रेन में बांध को नष्ट किए जाने से भारी तबाही हुई है.

अगस्त 1941 में जर्मन फ़ौज आगे बढ़ रही थी और सोवियत सेना तेज़ी से पीछे हट रही थी. तब सोवियत कमांडरों ने ज़ापोरिज़ज़िया पर बने बांध और पुलों को ध्वस्त करने का फ़ैसला लिया ताकि दूश्मन को नीप्रो नदी पार करने से रोका जा सके.

नागरिकों को इसकी चेतावनी नहीं जारी की गई और इतिहासकारों का अनुमान है कि इसमें कम से कम 3,000 लोग मारे गए.

यूक्रेन ने खुद को बचाने के लिए बांध कैसे ध्वस्त किए?

जब फ़रवरी 2022 में रूसी फ़ौजें यूक्रेन की राजधानी किएव की ओर बढ़ रही थीं, यूक्रेन की सेना ने इरपिन बांध को उड़ा दिया.

डॉ. मिरों के अनुसार, “शुरू में यूक्रेनी लोगों ने इस बांध को नष्ट करने के लिए रूस पर आरोप लगाए लेकिन अब सूचना है कि इसे यूक्रेन ने नष्ट किया था.”

इसकी वजह से इलाक़े में जो बाढ़ आई उसने रूसी इंफैंट्री और बख़्तरबंद गाड़ियों के काफ़िले का आगे बढ़ना लगभग नामुमकिन कर दिया था.

बांध पर हमले करना युद्ध अपराध है?

किंग्स कॉलेज लंदन में प्रोफ़ेसर जर्मन का कहना है कि बांध नागरिक ढांचे हैं और आम तौर पर फ़ौजों द्वार इनकों निशाना बनाया जाना वैध नहीं माना जाता.

उनके मुताबिक़, “हथियारबंद संघर्ष में ये एक क़ानून है कि अगर किसी सिविलियन ठिकाने के आस पास फ़ौज हो तो, इसे मिलिटरी टार्गेट माना जा सकता है. उदाहरण के लिए अगर बांध के आस पास यूक्रेन की कोई फ़ौजी यूनिट हो तो रूस इसे निशाना बना सकता है. लेकिन जहां तक मुझे पता है, इस मामले में ऐसा नहीं था.”

इंटरनेशनल बार एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. मार्क एलिस का कहना है, “सैन्य ज़रूरतों के मद्देनज़र बांध जैसे सिविलियन टार्गेट पर हमला हो सकता है लेकिन अगर नागरिकों को हुए नुकसान के मुकाबले फौजी लाभ बहुत कम हो तो इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन माना जा सकता है.”

एलिस के मुताबिक़, इस लिहाज से बांधों पर रूसी हमलों को किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता जबकि किएव की ओर बढ़ते रूस को रोकने के लिए इरपिन बांध को नष्ट करने की यूक्रेन की फौज की कार्रवाई को सही माना जाएगा.

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