यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड पर विपक्ष से अलग क्यों है केजरीवाल का स्टैंड?

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (30 जून 2023) : –

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते मंगलवार को मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता (यूनिफ़ॉर्मं सिविल कोड) का ज़िक्र कर एक तरह से अगले साल होने वाले चुनावों के लिए एजेंडा तय कर दिया है.

प्रधानमंत्री ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि “एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते. ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा?”

मोदी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है. सुप्रीम कोर्ट डंडा मारता है. कहता है कॉमन सिविल कोड लाओ. लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं. लेकिन भाजपा सबका साथ, सबका विकास की भावना से काम कर रही है.”

पीएम के भाषण के बाद अलग-अलग पार्टियों ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. पिछले हफ़्ते पटना में एकजुट हुई विपक्ष की ज़्यादातर पार्टियों ने इसका विरोध किया लेकिन आम आदमी पार्टी इस मामले में अलग लाइन लेती दिखी.

पार्टी ने कहा कि वो ‘सैद्धांतिक रूप से’ समान नागरिक संहिता का समर्थन करती है, लेकिन साथ ही कहा कि इसे सभी दलों के समर्थन से लागू होना चाहिए.

आम आदमी पार्टी ने क्या कहा?

आम आदमी पार्टी के नेता संदीप पाठक ने कहा है कि उनकी पार्टी सैद्धांतिक रूप से यूसीसी का समर्थन करती है, आर्टिकल 44 भी इसका समर्थन करता है.

उन्होंने कहा, “हमारा मानना ये है कि ऐसे मुद्दे पर आम सहमति के साथ आगे बढ़ना चाहिए. हमारा मानना है कि इस मुद्दे को तभी लागू करना चाहिए जब सभी दलों, सभी पक्षों, राजनीतिज्ञों, ग़ैर राजनीतिज्ञों और जनता के साथ इस पर व्यापक स्तर पर चर्चा हो.”

संदीप पाठक ने कहा कि कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जो आप आने वाले समय में बदल नहीं सकते और कुछ मुद्दे देश के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं जिस पर सत्तावादी तरीक़े से जाना ठीक नहीं है.

एक ओर आम आदमी पार्टी दिल्ली में ऑर्डिनेंस पर बीजेपी पर हमलावर है, वहीं बीजेपी के यूसीसी के एजेंडे पर उसके साथ नज़र आ रही है.

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले कश्मीर में धारा 370 हटाने का भी पार्टी ने खुलकर समर्थन किया था. तो आख़िर आम आदमी पार्टी अपनी राजनीति को किस ओर ले जा रही है?

हिन्दू वोटरों को लुभाने की कोशिश?

कई जानकार मानते हैं कि ऐसे मुद्दों पर बीजेपी का समर्थन कर आम आदमी पार्टी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की अपनी छवि को निखारना चाहती हैं. वो चाहती है कि बीजेपी से नाराज़ हिंदू उसकी ओर आएं, न कि किसी और पार्टी की तरफ़ रुख करें.

पार्टी का सीधा निशाना आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में हिंदू वोटरों को लुभाने पर हैं.

दिल्ली और आम आदमी पार्टी की की राजनीति को क़रीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी कहते हैं, “अरविंद केजरीवाल की आम आदमी परंपरा को देखें और साल 2010 की बात करें तो, उन मीटिंग की तस्वीरों में भारत माता का चित्र होता था और वंदे मातरम के नारे लगते थे और इस राष्ट्रवाद का झुकाव हिंदुओं की ओर देखा जा सकता था.”

उनके मुताबिक़, दिल्ली में जब दो साल पहले दंगे हुए तब भी इन्होंने ऐसे बयान नहीं दिए जिससे ये बीजेपी से अलग दिखें. पिछले साल इन्होंने दीवाली और दशहरों के कार्यक्रमों में पूजा का भी आयोजन किया था.

शायद इनको ये भी उम्मीद है कि बीजेपी से अलग होने वाले वोटर इनको वोट दें.

वो कहते हैं, “अब यूसीसी के मामले में वो ये भी कह रहे हैं कि इसे सबकी सहमति से होना चाहिए. आप कह सकते हैं कि वो संभल कर खेल रहे हैं, वो दोनों पक्षों को साथ लेकर भी चलना चाह रहे हैं.”

वहीं वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता कहते हैं, “मंदिर बनाने का मामला हो, हनुमान चालीसा का, हिंदुओं को तीर्थ पर भेजने की बात हो या फिर सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर बचकर रहना, इससे उनकी राजनीति का रुख़ स्पष्ट है.”

चुनावों के लिए उनकी रणनीति?

अगले कुछ महीनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं. इसके अलावा लोकसभा चुनावों की भी उल्टी गिनती शुरू हो गई है.

प्रमोद जोशी कहते हैं, “जहां-जहां कांग्रेस कमज़ोर हो रही है, वहां आम आदमी पार्टी मज़बूत हो रही है. गुजरात में उन्होंने ये कर दिखाया. उनकी रणनीति है कि वो वोटर जो हिंदू है, लेकिन बीजेपी के साथ जाने के बजाय कांग्रेस के साथ जाता दिख रहा था, उसे वो अपनी तरफ़ आकर्षित कर सकें.”

लेकिन क्या यूसीसी पर आम आदमी पार्टी का ये स्टैंड मुसलमानों और सिखों को उनसे दूर नहीं करेगा? पंजाब में उनकी सरकार के लिए क्या ये गलत रणनीति साबित नहीं होगी?

तो क्या पार्टी को मुस्लिम वोटों की चिंता नहीं है?

शरद गुप्ता कहते हैं , “उनको ये समझ में आ गया है कि दिल्ली और पंजाब में जहां उनकी सरकार है, वहां मुसलमानों का इतना प्रभाव नहीं है, इसलिए वो हिन्दुत्व की राजनीति कर बीजेपी की ‘बी पार्टी’ बनना चाहते हैं.”

“मुस्लिम वोटों से उनको दिल्ली में थोड़ा फ़र्क पड़ता है, लेकिन दिल्ली में ऐसे लगता है कि मुस्लिम सबसे मज़बूत पार्टी के साथ हैं, वहीं एमपी, राजस्थान में मुसलमान कांग्रेस के साथ दिखाई दे रहे हैं. इसलिए पार्टी का ध्यान हिंदू वोटों पर है.”

ऐसे में सत्ता में ‘आप’ की सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आम आदमी पार्टी इस जोखिम को उठाने के लिए तैयार दिख रही है.

गुप्ता कहते हैं, “पंजाब में अभी कोई चुनाव नहीं हैं, किसी भी पार्टी की राजनीति चुनाव के ईर्दगिर्द घूमती है. आम आदमी पार्टी भी अपने पांव पसारना चाहती है और फिलहाल जिन जगहों पर वो चुनाव लड़ना चाहती है, वहां कांग्रेस मज़बूत नज़र आ रही है. इसलिए वो प्रो हिन्दुत्व स्टैंड लेकर बीजेपी का वोट अपनी ओर खींचना चाह रही है.”

विपक्ष से अलग दिखने की कोशिश

पिछले हफ़्ते पटना में हुई विपक्ष की बैठक में आम आदमी पार्टी ने हिस्सा तो लिया, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में वो शामिल नहीं हुए.

इसके अलावा वो लगातार दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस से आलोचना करने की बात भी करती रही है.

वहां भी आम आदमी पार्टी अपना एक अलग एजेंडा पेश करने की लगातार कोशिश की.

जोशी कहते हैं, “ये एक नई पार्टी है. इसने शुरुआत से ही खुद को वैकल्पिक राजनीति करने वालों की तरह पेश किया है. गुजरात में भी लोग कांग्रेस और बीजेपी दोनों से नाराज़ थे, वहां भी वो वैसे लोगों को एकजुट करने की कोशिश में थे जो दोनों तरफ न जाना चाहें. तो ये पार्टी अपने आप को अलग दिखाने की कोशिश करती रहती है.”

कांग्रेस का क्या है पक्ष?

यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि कांग्रेस इस मामले पर चुप नहीं रह सकती है.

उन्होंने कहा कि ‘लॉ कमिशन अपनी रिपोर्ट दे चुका है और अगर वे (बीजेपी) यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड एक क़ानून के रूप में लाना चाहते हैं तो उन्हें कौन रोक सकता है क्योंकि यह उनकी सरकार है.’

उन्होंने कहा, “संसद में क़ानून लाने से पहले आप इस मुद्दे को क्यों उठा रहे हैं और आप इसका आरोप विपक्षी पार्टी पर क्यों लगा रहे हैं? आपको आज़ादी है कि आप संसद में इस क़ानून को लेकर आएं, कोई दिक़्क़त नहीं है और किसने आपको रोका है.”

“आप यूसीसी के नाम पर बेवजह कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों पर आरोप नहीं लगा सकते हैं. अगर आप में हिम्मत है तो इसे क़ानून में संसद के पटल पर रखो, फिर उसके बाद यह बहस जनता के बीच होगी.”

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी के यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड पर दिए बयान को पूरी तरह ग़लत बताया है.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर लिखा, “समान नागरिक संहिता को सही ठहराने के लिए एक परिवार और राष्ट्र के बीच तुलना करना ग़लत है. व्यापक तौर पर ये तुलना भले ही सही लग सकती है लेकिन वास्तविकता बहुत अलग है.”

ओवैसी ने क्या कहा

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड पर पीएम नरेंद्र मोदी के बयान के बाद एआईएमआईएम के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है.

ओवैसी ने ट्वीट कर कहा था, ”नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक़, यूनिफॉर्म सिविल कोड और पसमांदा मुसलमानों पर कुछ टिप्पणी की है. लगता है मोदी जी ओबामा की नसीहत को ठीक से समझ नहीं पाए.”

उन्होंने आगे कहा, ”मोदी जी ये बताइए कि क्या आप ”हिन्दू अविभाजित परिवार” (HUF) को ख़त्म करेंगे? इसकी वजह से देश को हर साल 3 हजार 64 करोड़ रुपये का नुक़सान हो रहा है.”

दूसरी विपक्षी पार्टियों ने भी किया विरोध

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन भी कह चुके हैं कि मोदी सरकार नौकरी देने का वादा पूरा नहीं कर पाई इस कारण यूसीसी का मामला उठा रही है.

वहीं नेशनल कांफ्रेंसृ के अध्यक्ष फ़ारूख़ अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार को यूसीसी के मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए और इसे लागू करने के परिणामों पर पुनर्विचार करना चाहिए.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने क्या कहा?

पीएम मोदी की ओर से सभी समुदायों के लिए एक जैसे क़ानून की वकालत किए जाने के कुछ घंटों के बाद ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी के ख़िलाफ़ दस्तावेज़ पर चर्चा की है.

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ख़ालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस बैठक में यूसीसी पर आपत्ति संबंधी मसौदे पर चर्चा हुई लेकिन इस नियमित बैठक को पीएम मोदी के भाषण से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, “भारत एक ऐसा देश है जहां कई धर्मों और संस्कृतियों को मानने वाले लोग रहते हैं, इसलिए यूसीसी न केवल मुसलमानों को प्रभावित करेगा, बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, यहूदी, पारसी और अन्य छोटे अल्पसंख्यक वर्ग भी इससे प्रभावित होंगे.”

उन्होंने कहा कि बोर्ड यूसीसी पर विधि आयोग के सामने 14 जुलाई से पहले ही अपनी आपत्ति दाखिल कर देगा.

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