राहुल गांधी को मानहानि केस में गुजरात हाई कोर्ट से झटका, पार्टी ने बताई आगे की राह

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DMT : गुजरात  : (07 जुलाई 2023) : –

गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की याचिका को ख़ारिज कर दिया है.

मोदी सरनेम मामले में टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के तहत दोषी ठहराया गया था और इस फ़ैसले को उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट में निलंबित करने की अपील की थी.

राहुल गांधी की याचिका पर दो मई को गुजरात हाई कोर्ट में जस्टिस हेमंत प्रच्छक की बेंच सुनवाई के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.

राहुल गांधी ने मई 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरनेम से जुड़ा एक विवादित बयान दिया था.

राहुल ने ललित मोदी, नीरव मोदी का हवाला देते हुए पूछा था कि सभी चोरों के सरनेम मोदी ही क्यों है? इसी बयान के बाद राहुल के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज हुआ था.

राहुल गांधी पर आरोप लगा था कि उन्होंने पूरे मोदी समुदाय की प्रतिष्ठा पर चोट पहुँचाई है.

गुजरात में बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मामल दर्ज कराया था.

राहुल गांधी ने कहा था कि जब उन्होंने यह बयान दिया था तब उनका इरादा किसी समुदाय की प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाने का नहीं था.

हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.

कांग्रेस महासचिव और पार्टी के कम्युनिकेशन विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा है, ”राहुल गांधी की सांसद से अयोग्यता पर गुजरात हाई कोर्ट की एकल पीठ का फ़ैसला हमारे संज्ञान में आया है. माननीय न्यायाधीश के तर्कों का अध्ययन किया जा रहा है, जैसा कि होना चाहिए. हाई कोर्ट के फ़ैसले ने इस मामले को आगे ले जाने के हमारे संकल्प को दोगुना किया है.”

गुजरात हाई कोर्ट ने क्या कहा?

मार्च 2023 में सूरत में कोर्ट ऑफ चीफ़ जूडिशल मैजिस्ट्रेट ने इस मामले राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की क़ैद की सज़ा सुनाई थी.

इस सज़ा के बाद राहुल गांधी की सांसदी भी चली गई थी. हालांकि उसी दिन राहुल गांधी को ज़मानत मिल गई थी और 30 दिनों के भीतर वह इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत में जा सकते थे.

तीन अप्रैल को राहुल गांधी इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सूरत सेशन कोर्ट गए थे लेकिन 20 अप्रैल को यहां भी उनकी याचिका ख़ारिज कर दी गई थी. हालांकि सूरत सेशन कोर्ट से उन्हें ज़मानत मिल गई थी.

अगर राहुल गांधी की सज़ा रोक दी जाती तो उनकी सांसदी बहाल हो सकती थी. संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है. अगर सुप्रीम कोर्ट से तत्काल कोई राहत नहीं मिली तो वह मॉनसून सत्र में हिस्सा नहीं ले पाएंगे.

अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल की याचिका को ख़ारिज कर दिया तो वह अगले साल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राहुल गांधी के ख़िलाफ़ आठ अन्य आपराधिक मानहानि के मामले दर्ज हैं.

जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने कहा कि इस मुक़दमे के बाद भी कई अन्य मामले दर्ज हैं. ऐसा ही मामला सावरकर के पोते ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ दर्ज कराया है.

अदालत ने कहा, ”दोषी ठहराए जाने के फ़ैसले को निलंबित नहीं करना याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ किसी तरह की नाइंसाफ़ी नहीं है. यहां कोई तार्किक वजह नहीं है, जिसके आधार पर दोषी ठहराए जाने के फ़ैसले को निलंबित कर दिया जाए. दोषी ठहराना पूरी तरह से वैध है.”

बीजेपी ने गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले का तत्काल स्वागत किया है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने ट्वीट कर कहा- सत्यमेव जयते.

अपने ट्वीट में पूनावाला ने कहा है, ”सेशन कोर्ट के बाद अब हाई कोर्ट ने भी राहुल की याचिका को ख़ारिज कर दिया है. राहुल गांधी लगातार क़ानून का उल्लंघन कर रहे हैं. उन्होंने अब तक ओबीसी समाज से माफ़ी नहीं मांगी है.”

हाई कोर्ट के फ़ैसले पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि पूरा देश राहुल गांधी के साथ है. उन्होंने कहा कि बीजेपी राहुल गांधी को रोकना चाहती है इसलिए उनके ख़िलाफ़ कई तरह के केस दर्ज कराए गए हैं. डीके शिवकुमार ने कहा कि राहुल गांधी और मज़बूती से उभरकर सामने आएंगे.

1951 के जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत किसी सदस्य को सदन से अयोग्य साबित करने के कई मानदंड हैं. जैसे कि अगर किसी भी सदन के सांसद को किसी अपराध के लिए छह साल से अधिक की सज़ा हो, या फिर उन्हें कुछ दूसरी धाराएं जैसे सेक्शन 153A ( धर्म आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध, और सद्भाव कायम रखने के विरुद्ध काम करना) या फिर सेक्शन 171एफ़ ( चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने से जुड़ा अपराध).

1951 के जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत जिन अपराधों का ज़िक्र नहीं है, वैसे किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति, जिसे दो साल के ज़्यादा कि सज़ा हुई है, उसे उसी दिन से अयोग्य घोषित किया जाएगा और बाहर आने से छह साल बाद तक वो अयोग्य ही रहेगा.

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