स्वीडन फिर घिरा, कौन हैं क़ुरान जलाने वाले सलवान मोमिका, सऊदी और इराक़ ने लिया यह फ़ैसला

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DMT : स्वीडन  : (21 जुलाई 2023) : –

स्वीडन क़ुरान के अनादर के मामले में एक बार फिर से विवादों में घिर गया है.

गुरुवार को इराक़ की सरकार ने बग़दाद से स्वीडिश राजदूत को वापस जाने के लिए कहा है. स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की एक मस्जिद के बाहर हाल ही में क़ुरान जलाने की घटना हुई थी.

इराक़ ने स्वीडन से अपने राजनयिक को भी वापस बुला लिया है और स्वीडिश कंपनियों से कारोबार निलंबित कर दिया है.

इराक़ में प्रदर्शनकारी बग़दाद में स्वीडन के दूतावास के बाहर जमा हो रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने स्वीडिश दूतावास के परिसर में आग लगा दी थी.

इस विरोध प्रदर्शन को लेकर स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विरोध-प्रदर्शन पूरी तरह से अस्वीकार्य है. इराक़ में प्रदर्शनकारियों को पता चला कि स्वीडिश पुलिस ने इराक़ के एक ईसाई शरणार्थी को स्टॉकहोम में क़ुरान जलाने की अनुमति दी थी, तो वे दूतावास परिसर में घुस गए और आग लगा दी.

सलवान मोमिका ने गुरुवार को स्टॉकहोम में इराक़ी दूतावास के बाहर दूसरी बार क़ुरान जलाने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया था.

सलावन को पुलिस ने भले क़ुरान जलाने से रोक लिया लेकिन उसके साथ छेड़छाड़ की थी. यह दूसरी बार है जब सलवान ने क़ुरान के साथ ऐसा किया. पिछले महीने सलवान ने ही स्टॉकहोम में मस्जिद के बाहर क़ुरान जलाया था.

37 साल के सलवान मोमिका इराक़ी ईसाई शरणार्थी हैं. वह अप्रैल 2018 में स्वीडन आए थे और अप्रैल 2021 में शरणार्थी का दर्जा मिला था. वह अपने फ़ेसबुक पर ख़ुद को नास्तिक और लेखक बताते हैं. मोमिका ने पिछले महीने 28 जून को स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने क़ुरान जलाया था. क़ुरान ईद-उल-अज़हा के दिन जलाया था.

मुसलमान क़ुरान को अल्लाह के अल्फ़ाज़ के रूप में देखते हैं और क़ुरान के साथ इरादतन छेड़छाड़ या अनादर को घोर अपराध की तरह देखते हैं.

स्वीडिश पुलिस ने कु़रान के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन को बैन कर दिया था लेकिन स्वीडिश कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर यह पाबंदी हटा दी थी.

बग़दाद में प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से शिया मौलवी मोक़्तदा अल-सद्र के समर्थक थे. ये विरोध-प्रदर्शन के दौरान स्वीडिश दूतावास की दीवार फांदकर परिसर में घुस में गए थे और आग लगा दी थी.

प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई थी. स्वीडन ने कहा है कि बग़दाद दूतावास में उसके सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं. इराक़ की सरकार ने स्वीडिश दूतावास में हमले की निंदा की है और कहा है कि इससे जुड़े 20 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

इराक़ के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा था कि स्वीडन के राजदूत वापस चले जाएं. इराक़ ने स्वीडिश कारोबारियों की वर्क परमिट को निलंबित कर दिया है. इराक़ की सरकारी न्यूज़ एजेंसी आईएनए के अनुसार स्वीडन की टेलिकॉम कंपनी एरिक्शन की वर्क परमिट को भी रद्द कर दिया गया है. इराक़ ने कहा है कि स्वीडन बार-बार कु़रान जलाने की अनुमति दे रहा है और इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.

ईरान, तुर्की, क़तर और सऊदी अरब ने भी स्वीडन में कथित इस्लाम विरोध प्रदर्शन को अनुमति देने की निंदा की है. स्वीडन को लेकर मुस्लिम बहुल देशों में काफ़ी हलचल है. पोप ने भी क़ुरान जलाने की निंदा की है.

इस महीने की शुरुआत में एक व्यक्ति को स्टॉकहोम में इसराइली दूतावास के सामने तोराह जलाने की अनुमति दी थी. लेकिन वह व्यक्ति अपनी सुरक्षा डर के कारण जलाने नहीं गया था. हालांकि उस व्यक्ति ने बाद में कहा था कि वह दिखाना चाहता था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा होती है.

कब क्या हुआ?

  • 28 जून– मोमिका ने स्टॉकहोम की सेंट्रल मस्जिद के सामने दो स्वीडिश झंडे लहराए फिर उसका राष्ट्रीय गान गाया. फिर उन्होंने कुरान फाड़ कर उसे आग में झोंक दिया.
  • 29 जून -तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस घटना को लेकर स्वीडिन की निंदा की और कहा कि उनका देश इस तरह की भड़काने वाली कार्रवाई बर्दाश्त नहीं करेगा.
  • 2 जुलाई -57 इस्लामी देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानून लागू करने और मिलजुल कर क़दम उठाने की जरूरत है. स्वीडन ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि ये इस्लामोफ़ोबिया है.
  • 3 जुलाई -पोप फ्रांसिस ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि वो इससे ग़ुस्से में है. उन्हें इससे नफ़रत है.
  • 7 जुलाई -क़ुरान जलाए जाने की घटना के ख़िलाफ़ इस्लामाबाद, कराची और लाहौर में रैलियां की गईं.
  • 11 जुलाई -मुस्लिम देशों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन में इसके ख़िलाफ़ प्रस्ताव पेश किया.
  • 12 जुलाई -संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने नफ़रत और धर्मांधता के ख़िलाफ़ प्रस्ताव को मंज़ूरी दी.
  • 15 जुलाई -32 साल के अहमद अलूश ने स्वीडन में इसराइली दूतावास के बाहर तोरा और बाइबिल जलाने का प्लान छोड़ा.

सऊदी अरब ने क्या कहा?

सऊदी अरब ने गुरुवार को घोषणा की थी कि स्वीडन के राजदूत को इस मामले में समन किया जाएगा. सऊदी अरब ने एक बार फिर से क़ुरान के अनादर की निंदा की है और कहा है कि दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए.

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, ”स्वीडन में अतिवादियों को पवित्र क़ुरान को जलाने और उसके अनादर की आधिकारिक अनुमति दी जा रही है. यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. स्वीडन में जो कुछ भी हो रहा है, उससे दुनिया भर के मुसलमान आहत हो रहे हैं. हम चाहते हैं कि स्वीडन इसे तत्काल रोके और दोषियों को सज़ा दे.”

इसी महीने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में स्वीडन में क़ुरान जलाए जाने के ख़िलाफ़ एक निंदा प्रस्ताव लाया गया था. इस प्रस्ताव का भारत ने भी समर्थन किया था.

इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के प्रस्ताव का भारत ने समर्थन किया था. भारत के साथ पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था. इस्लामिक देशों के संगठन की ओर से पाकिस्तान और फ़लीस्तीन के लाए गए इस प्रस्ताव के समर्थन में 28 और विरोध में 12 वोट पड़े. सात देश वोटिंग से दूर रहे.

चीन, भारत, क्यूबा, दक्षिण अफ्रीका, यूक्रेन और वियतनाम जैसे देशों ने निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया था. ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कोस्टारिका, मोंटेनेगरो समेत यूरोपियन यूनियन ने निंदा प्रस्ताव का विरोध किया था.

चिली, मेक्सिको, नेपाल, बेनिन, पाराग्वे जैसे देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने प्रस्ताव का ये कह कर विरोध किया कि ये मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के उनके नज़रिये के ख़िलाफ़ है.

इन देशों ने निंदा प्रस्ताव का किया था समर्थन

भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश अलजीरिया, अर्जेंटीना, बोलिविया, कैमरून, क्यूबा, इरीट्रिया, गेबन, गाम्बिया, आइवरी कोस्ट, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मलावी, मलयेशिया, मालदीव, मोरक्को, क़तर, सेनेगल, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, सूडान, यूक्रेन, संयुक्त अरब अमीरात, उज़बेकिस्तान, वियतनाम.

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