लैपटॉप-टैबलेट के आयात पर बैन के फ़ैसले को सरकार ने क्यों टाला?

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (05 अगस्त 2023) : –

भारत सरकार ने लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और टैबलेट के आयात को प्रतिबंधित करने वाले फ़ैसले पर अमल पर फिलहाल रोक दिया है.

गुरुवार को एक अधिसूचना जारी कर इन आइटमों के आयात को तुरंत प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया था.

नई अधिसूचना में इन आइटमों के आयात के लिए लाइसेंस के लिए 31 अक्टूबर 2023 तक मोहलत दी गई है. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कहा है कि ये आदेश 1 नवंबर 2023 से लागू हो जाएगा.

दरअसल लैपटॉप,पर्सनल कंप्यूटर और टैबलेट समेत सात आइटमों के आयात को अचानक प्रतिबंधित कर देने के बाद उद्योग जगत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.

आईटी हार्डवेयर से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स का कहना है कि सरकार ने अचानक अधिसूचना जारी कर दी जबकि दिवाली के दौरान इन आइटमों की भारी मांग देखी जाती है. ऐसे में कंपनियों का बिजनेस बुरी तरह प्रभावित होगा.

मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फॉर इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने विदेश व्यापार महानिदेशालय को ई-मेल भेज कर लाइसेंसिंग के लिए मोहलत देने की मांग की थी.

सरकार की अधिसूचना से घबरा कर कई ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स ऐपल, सैमसंग और एचपी ने तुरंत प्रभाव से लैपटॉप और टैबलेट का आयात रोक दिया था.

इंडस्ट्री के सूत्रों को कहना है कि शायद इस फैसले की चौतरफा आलोचना की वजह से सरकार ने फिलहाल आदेश पर अमल रोक दिया है.

इस फैसले पर अमल फिलहाल भले ही रुक गया है. लेकिन इससे ऐपल, डेल, लेनोवो, हेवलेट पैकर्ड और सैमसंग जैसी कंपनियों के कारोबार पर भारी असर पड़ सकता है.

उन्हें अब लोकल मैन्युफैक्चरिंग को रफ़्तार देनी होगी ताकि भारत में अपने उत्पादों की मांग पूरी कर सकें.

सरकार के इस कदम से घरेलू बाजार में इन आइटमों के दाम में भारी इजाफे की आशंका जताई जा रही है.

देश में पिछले तीन साल के दौरान (खास कर कोविड महामारी के दौरान) लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और टैबलेट जैसे आइटमों की मांग काफी बढ़ी है. लेकिन मांग बढ़ने के साथ ही इनके दाम भी बढ़े हैं.

विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में इन आइटमों के आयात पर प्रतिबंधों की कोई वजह तो नहीं बताई गई थी.

लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार फिलहाल सुरक्षा कारणों का हवाला देकर इन आइटमों के आयात को रोकना चाहती है.

लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और टैबलेट समेत जिन सात आइटमों के आयात रोके गए हैं, उनका 58 फीसदी चीन से आता है.

वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में इनका आयात 8.8 अरब डॉलर का था. इनमें से अकेले चीन की हिस्सेदारी 5.1 अरब डॉलर की थी.

चीन का ख़तरा कितना बड़ा

मीडिया ख़बरों के मुताबिक सरकार के अंदरूनी सूत्रों ने इन आइटमों के आयात पर प्रतिबंधों के लिए सुरक्षा कारणों का हवाला दिया है क्योंकि ज्यादातार चीजें चीन से आयात हो रही थीं.

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है सरकार ने सिर्फ सुरक्षा कारणों से इन आइटमों के आयात पर प्रतिबंध नहीं लगाया है.

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाले प्रमुख संगठन वीएलएसआई के अध्यक्ष सत्या गुप्ता ने बीबीसी से कहा, “सुरक्षा का मामला बहस का विषय है. इसलिए सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में इसका जिक्र नहीं है. ये साबित करना बहुत मुश्किल है कि चीनी प्रोडक्ट सुरक्षित नहीं हैं.’’

उन्होंने कहा, “दरअसल लैपटॉप, टैबलेट या पर्सनल कंप्यूटर की सुरक्षा का पहलू प्रोसेसर से जुड़ा होता है. इन सारे आइटमों में सबसे ज्यादा इन्टेल, एएमडी और माइक्रोटेक के प्रोसेसर लगे होते हैं. ये चीनी प्रोसेसर नहीं हैं.’’

“हालांकि चीनी प्रोसेसर यूनिसर्फ वाले लैपटॉप बनने शुरू हो गए हैं. लेकिन अभी ये काफी शुरुआती दौर में हैं. लिहाज़ा ये कहना गलत है कि सरकार ने चीन के खतरे को देखते हुए पर्सनल कंप्यूटर और टैबलेट का आयात प्रतिबंधित किया है. ’’

सरकार का मक़सद क्या है?

मोदी सरकार भारत को इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हब बनाना चाहती है. अपने इस मक़सद को हासिल करने के लिए इसने आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव) स्कीम लागू की है.

सरकार ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देकर बड़े पैमाने पर रोज़गार पैदा करना चाहती है इसलिए पीएलआई स्कीम पर इतना ज़ोर दिया जा रहा है.

इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग समेत दस से अधिक सेक्टरों के लिए पीएलआई स्कीम चलाई जा रही है.

फरवरी 2021 से अप्रैल 2022 के बीच इसके 550 अरब डॉलर के आयात बिल में अकेले इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की हिस्सेदारी 62.7 अरब डॉलर की थी.

लिहाज़ा भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का मक़सद बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भी बचाना है.

2020 में शुरू की गई इस योजना के तहत विदेशी और घरेलू कंपनियों को देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने, उनका विस्तार करने और तैयार माल की बिक्री पर इन्सेंटिव दिया जाता है.

पीएलआई स्कीम के तहत अकेले आईटी हार्डवेयर सेक्टर के लिए ही 17 हज़ार करोड़ रुपये का इन्सेंटिव निर्धारित किया जा चुका है.

सरकार को उम्मीद है इसका फायदा उठाने के लिए ऐपल, डेल, एचपी और सैमसंग जैसी कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग करेगी.

इन ग्राहकों को नए नियमों से छूट

अगर आप विदेश से एक लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर, अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर कंप्यूटर खरीदते हैं तो ये प्रतिबंध आप पर लागू नहीं होगा.

ई-कॉमर्स पोर्टल से खरीदे गए या पोस्ट के कुरियर से ऐसे कंप्यूटर मंगाने पर भी ये प्रतिबंध लागू नहीं होगा. हालांकि इस पर ड्यूटी देनी होगी

आरएंडडी, बेंचमार्किंग,इवेल्यूशन, रिपेयरिंग या री-एक्सपोर्ट के लिए 20 आइटमों के आयात के लिए भी लाइसेंस नहीं लेना होगा.

अगर लैपटॉप, टैबलेट, अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर कंप्यूटर और सर्वर कैपिटल गुड्स के हिस्सा बन कर आयात किए गए तो ये भी इस प्रतिबंध के दायरे में नहीं आएंगे.

पीसी, लैपटॉप कंपनियों पर कितना असर

पर्सनल कंप्यूटर बेचने वाली कंपनियों का कहना है कि सरकार के इस कदम से फिलहाल इनका आयात रुक जाएगा. जबकि हकीकत ये है देश में बिकने वाले 90 फीसदी पर्सनल कंप्यूटर (डेस्क टॉप, लैप टॉप और टैबलेट) आयातित होते हैं.

इससे मार्केट में इन आइटमों की ज़बरदस्त किल्लत हो सकती है. नतीजतन इनके दाम बेतहाशा बढ़ सकते हैं.

सरकार ने 2020 में टेलीविजन सेट्स की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए ऐसा ही कदम उठाया था. उस वक्त उसने टेलीविजन सेट्स के आयात पर रोक लगा दी थी.

इससे टीएसएल, वीयू के अलावा सैमसंग, एलजी श्याओमी जैसी कंपनियों के हाई-एंड कलर टीवी की बिक्री पर काफी असर पड़ा था. जबकि सैमसंग, एलजी जैसी कंपनियां तो भारत में मैन्युफैक्चरिंग भी करती हैं.

सरकार के इस कदम से टीवी आयात के 7000 से 8000 करोड़ रुपये का बाजार प्रभावित हुआ था. लेकिन भारत में कुल टीवी सेल्स का ये एक छोटा हिस्सा था.

लेकिन पर्सनल कंप्यूटर के आयात पर प्रतिबंध का मामला इससे बिल्कुल है. इस कदम का काफी बड़ा असर होगा क्योंकि देश में ज्यादातर पर्सनल कंप्यूटर बाहर से मंगाए जाते हैं.

पर्सनल कंप्यूटर कंपनियों ने कहा है कि इस फैसले को लागू करने से पहले तीन महीने का ग्रेस पीरियड देना चाहिए था ताकि उपभोक्ताओं को अचानक बढ़ने वाली कीमतों से बचाया जा सके.

रिलायंस जियोबुक की लॉन्चिंग और आयात प्रतिबंध का कनेक्शन

इसी सप्ताह मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने सिर्फ 16,499 रुपये में रिलायंस जियोबुक उतारा है. ये टैबलेट और लैपटॉप का मिलाजुला वर्जन है.

इसे बाज़ार का सबसे सस्ता ‘लैपटॉप’ बताया जा रहा है. इससे पहले तक एचपी और दूसरी कंपनियों के क्रोमबुक 20 हजार रुपये में बिक रहा है.

सोशल मीडिया पर जियोबुक की लॉन्चिंग और सरकार के नए नियमों की टाइमिंग पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

लोगों का कहना है कि रिलायंस को फायदा देने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है. लेकिन विशेषज्ञों ने ऐसे आरोपों को ख़ारिज किया है.

सत्या गुप्ता कहते हैं,‘’ रिलायंस का जियोबुक मार्केट में मौजूद दूसरे उत्पादों को टक्कर नहीं दे सकता. ये लैपटॉप नहीं बल्कि हाई-एंड टैबलेट है. रिलायंस का प्रोडक्ट अभी काफी शुरुआती दौर में है. इस प्रतिबंध से रिलायंस के प्रोडक्ट भारत में छा जाएंगे, इसकी संभावना अभी दूर-दूर तक कहीं नहीं दिखती.’’

नई नीति से कंपनियों का क्या फायदा

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की इस नीति से विदेशी और घरेलू कंपनियों दोनों को फायदा होगा. लैपटॉप, टैबलेट बनाने के लिए असेंबलिंग लाइन लगाना या यूनिट शुरू करना आसान काम है.

कई कंपनियों की असेबलिंग लाइन चल रही है. सरकार का मकसद है कि विदेशी कंपनियां यहां अपनी यूनिट लगाएं और इसकी पीएलआई स्कीम का फायदा लें.

सत्या गुप्ता कहते हैं, ‘’ सरकार नई पीएलआई स्कीम के तहत 17 हजार करोड़ रुपये का इन्सेंंटिव दे रही है. इसके तहत चार से छह फीसदी का इन्सेंटिव मिल रहा है जो बहुत ज्यादा है. ”

”लैपटॉप, टैबलेट या इस तरह के दूसरे उत्पादों पर दो-तीन से तीन फीसदी मार्जिन भी अच्छा माना जाता है. ऐसे में अगर छह फीसदी का मार्जिन कंपनियों के काफी फायदे का सौदा है.’’

सरकार चाहती है कि कंपनियां भारत में प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग, डिजाइन और डेवलप करें. चाहें वो विदेशी हों या भारतीय.

इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और यहां की छोटी और मझोली कंपनियां भी प्रोडक्ट डिजाइन, डेवलप और मैन्युक्चरिंग का काम कर सकेंगीं.

सत्या गुप्ता कहते हैं, ‘’वीवीडीएन, ऑप्टिमस जैसी कई छोटी कंपनियां हैं जो लैपटॉप, टैबलेट जैसे प्रोडक्ट बना रही हैं. सरकार की इस नीति से इन कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा. छोटी-छोटी कंपनियों के इको-सिस्टम से भी भारत में आईटी हार्डवेयर की बड़ी कंपनियां खड़ी हो सकेंगी.’’

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