विपक्षी एकता पर जमकर बरसे पीएम मोदी, बोले- “एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग”

Hindi New Delhi
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यहां के वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नये एकीकृत टर्मिनल का उद्घाटन किया.

DMT : नई दिल्ली: (18 जुलाई 2023) : – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अंडमान-निकोबार द्वीप समूह को नई सौगात दे रहे हैं. पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पोर्ट ब्लेयर के वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की नई इंटीग्रेटेड टर्मिनल बिल्डिंग का उद्घाटन किया. शंख के आकार का ये भवन करीब 710 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. नया टर्मिनल भवन सालाना लगभग 50 लाख यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि ज्यादा फ्लाइट्स और ज्यादा पर्यटक आने का सीधा मतलब है ज्यादा से ज्यादा रोजगार. पोर्ट ब्लेयर की इस नई टर्मिनल बिल्डिंग से ईज और ट्रैवल बढ़ेगा, ईज ऑफ डूइंड बिजनेस बढ़ेगा और कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी. साथ ही पीएम मोदी ने इस दौरान विपक्षियों पर जमकर निशाना साधा.

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके चेहरे के पीछे कई चेहरे हैं. ये जातिवाद, भ्रष्‍टाचार की दुकान खोलकर बैठे हैं. विपक्ष का लक्ष्‍य सबसे पहले परिवार है. इनका एक ही एजेंडा परिवार बचाओ है. आजकल वे बेंगलुरु में जुटे हैं. वे घोटालों पर चुप हो जाते हैं. वे भ्रष्‍टाचार की गांरटी देते हैं.

पीएम मोदी ने बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक पर तंज कसते हुए कहा कि वे अपनी दुकान खोलकर हमें रोकना चाहते हैं. वो भारत की बदहाली वाले लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ गए हैं. गाना कुछ गाया जा रहा है, जबकि सच्चाई कुछ और है. इनकी दुकान पर 2 चीजों की गारंटी है. एक तो ये अपनी दुकान पर जातिवाद का जहर बेचते हैं. और दूसरा की भ्रष्टाचार करते हैं. एक चेहरे पर कई चेहरा लगा रखें है इन्होंने. कैमरे के सामने एक दिखाते हैं खुद को, लेकिन लोग जानते है कि सच्‍चाई क्‍या है. ये कट्टर भ्रष्टाचारी सम्मेलन है. जमानत पर कुछ लोगों को सम्मान से देख रहे हैं, जिसका पूरा परिवार ही जमानत पर है तो उसे ज्यादा सम्मान मिल रहे हैं. सारे भ्रष्टाचारी बड़े प्रेम से मिल रहे हैं. पर इनकी दुकान में जुटे हुए थी परिवारवाद के समर्थक हैं. न खाता, न बही, जो परिवार कहे वो सही. इसपर भरोसा रखते हैं.विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, “ये दल उन्हीं कामों को प्राथमिकता देते थे, जिसमें इनका खुद का भला हो, इनके परिवार का भला हो. नतीजा ये हुआ कि हमारे आदिवासी क्षेत्रों और द्वीपों की जनता विकास से वंचित रही, विकास के लिए तरसती रही. लंबे समय तक भारत में विकास का दायरा कुछ बड़े शहरों और कुछ क्षेत्रों तक सीमित रहा. कुछ दलों की स्वार्थ भरी राजनीति के कारण विकास का लाभ देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक पहुंचा ही नहीं.  हमा से पहले की सरकार के 9 साल में अंडमान निकोबार को करीब 23,000 करोड़ रुपये का बजट अलॉट किया गया था, जबकि हमारी सरकार के दौरान अंडमान निकोबार के विकास के लिए 9 वर्षों में करीब 48 हजार करोड़ रुपये का बजट दिया गया है.” 

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