संसद का विशेष सत्र: सोनिया गांधी और बीजेपी में ठनी, क्या मोदी देश को फिर चौंकाएँगे?

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DMT : नई दिल्ली : (07 सितंबर 2023) : –

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पाँच दिनों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जो 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलेगा.

हालाँकि संसद के इस ख़ास सत्र का एजेंडा क्या होगा?

इस बारे में सरकार ने आधिकारिक तौर पर अभी कुछ नहीं बताया है.

अब ये मुद्दा कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद का विषय बन गया है.

किसी का कहना है कि सरकार ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़ा बिल ला सकती है, कोई ‘इंडिया’ शब्द हटाने की बात कर रहा है, कहीं महिला आरक्षण विधेयक की चर्चा गर्म है, कहीं चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर बदलाव पर मुहर लगाने की बात हो रही है तो कहीं गणेश चतुर्थी के मौक़े पर नए संसद भवन में शिफ़्ट होने की बात हो रही है.

सवाल है कि 11 अगस्त को संसद का मानसून सत्र ख़त्म हुआ है और शीतकालीन सत्र आने वाला है.

ऐसे में विशेष सत्र बुलाने के पीछे सरकार की क्या मंशा है? और सरकार सत्र का एजेंडा क्यों नहीं बता रही है? इस पर राजनीति के जानकार लोगों का क्या कहना है?

जयराम रमेश ने कहा, “एक तंत्र की तोप चलाई जा रही है…प्रधानमंत्री अपने आप को, देश को मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी कहते हैं, अगर इसमें लोकतंत्र की शहनाई नहीं बजती और सिर्फ़ एक तंत्र की तोप चलाई जाती है तो ये कोई लोकतंत्र नहीं है.”

जोशी ने कहा कि विशेष सत्र बुलाने से पहले एजेंडा सार्वजनिक करने की परंपरा नहीं रही है और सोनिया गांधी बिना मतलब के इस मामले में राजनीति कर रही हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

विशेष सत्र के दौरान जिन 9 मुद्दों पर चर्चा की मांग सोनिया गांधी ने की है, उस पर जवाब देते हुए प्रह्लाद जोशी ने कहा, “हाल के मानसून सत्र में उन मुद्दों पर चर्चा हो चुकी है. उन पर गृह मंत्री और प्रधानमंत्री जवाब दे चुके हैं. वे फिर से उन्हीं मुद्दों को उठाकर एडवांस में बता रहे हैं कि हम संसद में हंगामा करेंगे, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.”

विशेष सत्र से जुड़े सवालों को लेकर हमने वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन और जयशंकर गुप्त से बात की.

अरविंद मोहन कहते हैं, “सरकार के लिए लोगों को चौंकाना एक मुद्दा है और वह कुछ न कुछ बड़ा भी कर सकती है, क्योंकि हमने पहले देखा है कि कैसे सरकार ने कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया था और तीन कृषि बिल पास करवाए थे. उस समय भी किसी को पहले से कोई जानकारी नहीं दी गई थी.”

वे कहते हैं कि यह सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह विशेष सत्र बुलाने से पहले एजेंडा सार्वजनिक करे, क्योंकि यह परंपरा रही है. विशेष सत्र बुलाने में कोई हर्ज नहीं है. जब मौक़ा मिले, तो जरूर बुलाना चाहिए, संसद इसलिए है. लेकिन ऐसा करने का भी एक तरीक़ा है, जिसमें विपक्ष को भरोसे में लिया जाता है.

अरविंद मोहन बताते हैं, “संसद की एजेंडा कमेटी है, उसके सामने बात जानी चाहिए. एजेंडा कमेटी की मीटिंग के बिना, संसद के विशेष सत्र को बुलाए जाने का मतलब क्या है? ये तो प्रोसेस को उलट देना है.”

वन नेशन, वन इलेक्शन की कितनी संभावना

संसद के विशेष सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के सवाल को ख़ारिज करते हुए जयशंकर गुप्त कहते हैं, “सरकार ने हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में समिति बनाई है, वह कब तक अपनी रिपोर्ट देगी, यह अभी तय नहीं है, ऐसे में 18 सितंबर से शुरू होने वाले विशेष सत्र में इसे लेकर कुछ होना मुश्किल दिखाई देता है.”

वे कहते हैं कि केंद्र सरकार दूसरे मुद्दों को दबाने के लिए कोई शिगूफा छोड़ देती है, जिसके बाद लोगों का ध्यान भटक जाता है. ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात शुरू होने के बाद अदानी, इंडिया गठबंधन को मिल रहे समर्थन और चुनावी राज्यों के सर्वे में विपक्ष की बढ़त जैसी बातें थम गई हैं.

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति

जयशंकर गुप्त कहते हैं, “सरकार विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक के साथ-साथ चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर जो बिल राज्यसभा में पेश किया गया था, उसे पास करवाने की कोशिश कर सकती है.”

मानसून सत्र में ही केंद्र सरकार ने चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) बिल को राज्यसभा में पेश किया था.

इस विधेयक के मुताबिक अब मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पीएम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी करेगी.

इस कमेटी में भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर करते हुए पीएम के साथ नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री को रखा गया है. इस बिल को लेकर मानसून सत्र में भी ख़ूब हंगामा हुआ था.

गुप्त कहते हैं कि नरेंद्र मोदी में लोगों को चौंकाने वाली बात हमेशा से रही है और इसके लिए उनकी आदर्श इंदिरा गांधी दिखाई देती हैं.

वे कहते हैं, “जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया तो उनके गृह मंत्री को मालूम नहीं था. मोदी सरकार ने नोटबंदी की तो इनके वित्त मंत्री अरुण जेटली को जानकारी नहीं थी. इस सरकार के काम में लोगों को चौंकाने की बात हमेशा से रही है.”

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