DMT : सोलन : (31 अगस्त 2023) : –
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक वन संपदा का खजाना है। यहां चीड़ (पाइन) के पेड़ बड़ी संख्या में हैं। पहाड़ों में 500 से 2200 मीटर की ऊंचाई पर बहुतायत में पाये जाने वाले इन पेड़ों की पत्तियां यानी ‘पाइन नीडल’ अक्सर जमीन पर बिखरी पड़ी रहती हैं। इन्हें बेकार समझा जाता है और गर्मियों के मौसम में इनके कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी होती हैं। लेकिन, बेकार मानी जाने वाली इन पत्तियों को सोलन के स्वयं सहायता समूह की हुनरमंद महिलाओं ने रक्षा-सूत्र का रूप दे दिया है। उन्होंने इन पाइन नीडल की सुंदर राखियां बनाई हैं। इससे उनकी अच्छी आमदनी भी हुई है।
साक्षी स्वयं सहायता समूह तोप की बेड़ निवासी डिंपल ने बताया कि रक्षाबंधन के मौके पर उन्होंने पाइन नीडल से शानदार राखियां बनाई हैं। सोलन में रहने वाली कुछ बहनों ने ये राखियां विदेश भी भेजी हैं। रोशनी स्वयं सहायता समूह भोजनगर की ममता ठाकुर ने बताया कि वह सोलन मालरोड पर स्टाल लगाकर पाइन नीडल व कुशा से बनी राखियां बेच रही हैं। दिशा संगठन सुल्तानपुर की पूजा बताती हैं कि रक्षाबंधन पर पाइन नीडल व कुशा की राखियों की अच्छी डिमांड रही। ये राखियां 10 रुपये से लेकर 30 रुपये तक बेची जा रही हैं। पाइन नीडल व कुशा दोनों को पवित्र माना जाता है, इसके साथ मोतियों को भी शामिल किया गया है।
शुरुआती ट्रेनिंग के बाद बनायी अपनी राह
स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि शहरों का रुख करने के बजाय गावों में रहकर ही स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाने चाहिये और पाइन नीडल जैसे वेस्ट मैटीरियल का सदुपयोग करके आमदनी का जरिया बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि शुरुआती ट्रेनिंग लेने के बाद वे खुद ही इस दिशा में आगे बढ़ने लगीं और अपनी कला को निखारने लगीं।