DMT : तमिलनाडु : (08 मार्च 2023) : –
बीती दो मार्च को तमिलनाडु में काम कर रहे बिहार के मज़दूरों पर हमले से जुड़ी एक ख़बर सामने आई. इसमें कुछ मज़दूरों के मारे जाने का दावा भी किया गया था.
इसे लेकर कुछ भ्रामक वीडियो ट्वीट किए गए. कुछ हिंदी अख़बारों ने अपने पहले पन्ने पर इस ख़बर को प्रमुखता दी.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी ट्वीट करके जानकारी दी कि उन्होंने बिहार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को तमिलनाडु में समकक्ष अधिकारियों से बातचीत कर ‘बिहार के मज़दूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने’ को कहा है.
इसके बाद, तमिलनाडु पुलिस के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि ये ‘फ़ेक न्यूज़’ है और ऐसी कोई घटना नहीं हुई है.
तमिलनाडु के पुलिस अधिकारियों ने इस घटना से जुड़े भ्रामक वीडियो छापने वाले मीडिया प्लेटफॉर्म से संपर्क किया और कुछ वीडियो हटवाने में उन्हें कामयाबी भी मिली.
तमिलनाडु पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि इस ‘फ़ेक न्यूज़’ को फैलाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ वो मामला दर्ज कराएगी. ऐसे लोगों को गिरफ़्तार करने के लिए ‘स्पेशल टीम बनाने’ की बात भी कही गई है.
इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु के श्रम कल्याण एवं क्षमता संवर्धन विभाग के मंत्री सीवी गणेशन कहते हैं, “उत्तर भारतीय राज्य के श्रमिक शांतिपूर्ण ढंग से राज्य में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं. ये लोग पुल और मेट्रो रेल के प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं. श्रम कल्याण विभाग ऐसे श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रावधानों को लागू कराने के लिए काम कर रहा है.”
- इस पूरे मामले में तमिलनाडु पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ़्तार भी किया है.
- ‘दैनिक भास्कर’ और ‘ऑप इंडिया’ के संपादक, ‘तनवीर पोस्ट’ को चलाने वाले तनवीर और भाजपा की यूपी यूनिट के प्रवक्ता प्रशांत उमराव के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है.
- इन लोगों की गिरफ़्तारी के लिए राज्य पुलिस ने दस टीमों को तैनात किया है. इस दौरान उमराव को दिल्ली हाईकोर्ट से 14 दिनों की अंतरिम जमानत मिली है.
- बिहार पुलिस ने ‘फे़क न्यूज़’ फैलाने के आरोप में ‘प्रयास न्यूज़’, ‘सचतक न्यूज़’ और अमन कुमार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
- बिहार पुलिस ने अमन कुमार को गिरफ़्तार कर लिया है और पुलिस का दावा है कि इस मामले में दूसरे लोगों की तलाश की जा रही है.
- छह मार्च को बिहार पुलिस ने ट्वीट किया कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी लोगों के साथ हिंसात्मक घटना से जुड़े भ्रामक वीडियो और पोस्ट पर जांच के बाद मामला दर्ज किया गया है.
- बिहार पुलिस ने अपने ट्वीट में यह भी बताया कि सुनियोजित तरीके से भ्रामक और भड़काने वाले फोटो/वीडियो/टेक्स्ट मैसेज डालकर जनता के बीच भय का माहौल पैदा किया जा रहा है.
- सात मार्च को तमिलनाडु पुलिस ने बिहार के रूपेश कुमार को ‘फे़क न्यूज़’ और ‘भ्रामक वीडियो’ फैलाने के आरोप में तेलंगाना से गिरफ़्तार किया.
- इसी दिन तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके के सांसद टीआर बालू ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फ़ोन करके बिहार के प्रवासी मज़दूरों की सुरक्षा के लिए उठाए गए क़दमों के बारे में जानकारी दी.
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य के दक्षिणी ज़िलों के दौरे के दौरान एक औद्योगिक इकाई में प्रवासी मज़दूरों से मुलाक़ात की और उन्हें हर संभव सहायता और सुरक्षा का भरोसा दिलाया.
- मज़ूदरों से मुलाक़ात
- इसी दौरान बिहार के चार वरिष्ठ अधिकारियों के दल ने तिरुपुर और कोयम्बटूर ज़िलों का दौरा किया.
- बिहार के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव बालामुरुगन के नेतृत्व में इस दल ने जिन ज़िलों का दौरा किया वहां बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय मज़दूर काम करते हैं.
- पांच और छह मार्च को इन मज़दूरों के काम करने वाली यूनिटों और घरों तक टीम गई. दो दिनों के दौरे और उत्तर भारतीय मज़दूरों से बात करने के बाद अधिकारियों ने कहा कि इन कामगारों के लिए बेहतर सुविधाएं मौजूद हैं.
- बालामुरुगन ने मीडिया से बात करते हुए बताया, “तमिलनाडु सरकार और पुलिस ने संतोषजनक क़दम उठाए हैं. पुलिस ने अलग से यूनिट बनाकर उत्तर भारतीय लोगों के लिए विशेष हेल्पलाइन भी चलाई है.”
- उत्तर भारतीय मज़दूरों का काम की तलाश में तमिलनाडु और दूसरे दक्षिण भारतीय राज्यों की ओर रूख करना कोई नया मुद्दा नहीं है. पहले भी राज्य में इस मुद्दे पर राजनीति देखने को मिली है.
- तमिल लोगों के हितों के नाम पर राजनेता इस मुद्दे को पहले भी उठाते रहे हैं, जिसमें दावा किया जाता है कि उत्तर भारतीय लोगों के काम पर आने से स्थानीय तमिल लोगों के लिए रोज़गार के मौके कम होते जा रहे हैं.
- पहले भी उस तरह के वीडियो शेयर किए जाते थे जिसमें उत्तर भारतीय मज़दूरों को दूसरों की आरक्षित सीटों पर कब्ज़ा जमाते देखा जाता है.
- इन वीडियो के सहारे मीडिया और सोशल मीडिया में तमिलनाडु में उत्तर भारतीयों की मौजूदगी पर बहस देखने को मिली है. इस राजनीतिक बहस के परिपेक्ष्य में हाल की ‘फ़ेक न्यूज़’ को देखा जाना चाहिए.
- वायरल वीडियो को लेकर कार्रवाई
- इस साल 26 जनवरी को तिरुपुर का एक वीडियो वायरल हुआ. इस वीडियो में भीड़ एक शख़्स का पीछा करते हुए उस पर हमला करती है. इस वीडियो को ये कहकर शेयर किया गया कि उत्तर भारतीयों ने मिलकर एक तमिल पर हमला किया है.
- तिरुपुर पुलिस कमिश्नर प्रवीण कुमार अभिनपु ने बीबीसी को बताया कि यह वीडियो 14 जनवरी का था और दो समूहों के बीच छोटी-सी बात पर झगड़े को लेकर था लेकिन इसे जानबूझ कर उत्तर भारतीय बनाम तमिल का रंग दिया गया.
- हालांकि, इस मामले में बिहार के दो मज़दूरों को गिरफ़्तार किया गया था.
- तिरुपुर में क्यों हुआ विवाद
- एक सवाल ये भी है कि वीडियो तिरुपुर में ही क्यों वायरल किया गया. देश भर में कपड़ों का जितना निर्यात होता है, उसका 50 प्रतिशत हिस्सा तिरुपुर से आता है.
- यहां बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय मज़दूर काम करते हैं. इनमें से अधिकांश तिरुपुर के कपड़ा उद्योग में काम करते हैं.
- तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एवं मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमपी मुथुराथिनाम बताते हैं, “तिरुपुर के कपड़ा उद्योग में करीब तीन लाख प्रवासी मज़दूर काम करते हैं. वो सिलाई, जांच करने, पैकेज करने और प्रोसेस करने जैसे कामों से जुड़े हैं.”
- उत्तर भारतीय मज़दूरों को क्यों दी जाती है प्राथमिकता
- तमिलनाडु के इंडस्ट्री सेक्टर में उत्तर भारतीयों को तरजीह मिलती है क्योंकि वे छुट्टी भी कम लेते हैं और काम भी मेहनत से करते हैं.
- तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एवं मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमपी मुथुराथिनाम ने बताया, ” एक तमिल श्रमिक सप्ताह में चार दिन ही काम करता है जबकि हमें महीने में 26 दिन काम कराना होता है. इसलिए हम उत्तर भारतीय मज़दूरों पर निर्भर हैं.”
- ”तिरुपुर आने वाले उत्तर भारतीय मज़दूर एक महीने के अंदर ज़रूरत के मुताबिक कुशलता भी हासिल कर लेते हैं. ये कोई एक दिन में नहीं हुआ है. यह बीते एक दशक में हुआ है और आज हमारा कपड़ा उद्योग पूरी तरह उन पर निर्भर है.”
- मज़दूरों के शोषण का आरोप
- तमिलनाडु में इंडस्ट्री सेक्टर उत्तर भारतीय मज़दूरों का इस्तेमाल तो कर रहा है लेकिन आरोप है कि इन मज़दूरों का शोषण किया जाता है. कम मज़दूरी, काम के लंबे घंटे, रहने की खस्ताहाल सुविधाएं और मानवाधिकार का उल्लंघन जैसे आरोप लगते रहे हैं.
- असंगठित मज़दूरों के संघ की सलाहकार गीता रामकृष्णन बताती हैं कि तमिल और प्रवासी मज़दूरों के वेतन में बहुत अंतर है. उन्होंने बताया, “तमिल मज़दूरों के मुक़ाबले में प्रवासी मज़दूरों को आधा वेतन मिलता है.”
- गीता रामकृष्णन के मुताबिक उत्तर भारतीयों को काम पर रखने की सबसे बड़ी वजह यही है.
- प्रवासी मज़दूरों के लिए काम करने वाले संगठन ‘एलायंस’ के बालामुरुगन कहते हैं कि एजेंट कई बार श्रमिकों को तमिलनाडु लाने से पहले वेतन और सुविधाओं के बारे में ठीक-ठीक जानकारी नहीं देते हैं.
- मज़दूरी में हो रहे बदलाव
- हालांकि, इसका दूसरा पक्ष यह है कि यह अंतर अब कम होता जा रहा है. 13 साल पहले तिरुपुर में मज़दूरी करने आए सनोज कुमार आज मोबाइल फ़ोन की छोटी सी दुकान चलाते हैं.
- उन्होंने बताया कि अब तमिल और प्रवासी मज़दूरों के वेतन में 10 से 20 प्रतिशत का अंतर ही रह गया है.
- उन्होंने दावा किया कि उत्तर भारतीय प्रवासी मज़दूरों के कम वेतन पर काम करने की बात में सच्चाई नहीं है.
- वहीं, तमिलनाडु एसोसिएशन ऑफ़ कॉटेज एंड माइक्रो इंटरप्राइजेज़ के अध्यक्ष जे जेम्स ने बताया, ”शुरुआती दिनों में प्रवासी मज़दूरों के पास ज़रूरी कुशलता नहीं होती है, लेकिन कुशलता हासिल करते ही उन्हें उचित वेतन मिलने लगता है.”
- इतना ही नहीं, असंगठित क्षेत्र में काम करने श्रमिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों से तमिलनाडु सरकार की जनकल्याण योजनाओं में इन मज़ूदरों को भी शामिल किया गया है.
- उन्हें स्थानीय मज़ूदरों जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं. इन योजनाओं में काम के दौरान किसी दुर्घटना में मौते होने पर तीन लाख रुपये की मदद का प्रावधान भी शामिल है.
- समस्या का हल क्या है
- तमिलनाडु में काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में उनका पंजीयन, दस्तावेज़ रखने और एकीकृत व्यवस्था में शामिल होना अहम है.
- एलायंस संस्था के बालामुरुगन बताते हैं कि अब प्रवासी मज़दूर राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए खुद को पंजीकृत करा सकते हैं. ये अभी चार सेवा केंद्रों के ज़रिए लोगों को मुहैया कराया जा रहा है.
- जेम्स जैसे उद्योगपति के मुताबिक तमिलनाडु में प्रवासी मज़दूरों के अधिकारों को सुनिश्चत करने के लिए प्रवासी मज़दूरों की गिनती और उनके दस्तावेज़ तैयार रखना बेहद अहम है. जेम्स के मुताबिक केवल उद्योगपति और पुलिस प्रशासन से यह संभव नहीं है, इसके लिए स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों को भी शामिल करना होगा.
- तमिलनाडु सरकार के पूर्व मंत्री और मानव संसाधन फर्म चलाने वाले एमएफके पंडीराजन कहते हैं कि प्रवासी मज़दूरों की बेहतरी के लिए राज्य और केंद्र सरकार को आपस में मिलकर क़दम उठाने की ज़रूरत है.