इमरान ख़ान को पाकिस्तान की अटक जेल में मिल सकती हैं ये सुविधाएं

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DMT : पाकिस्तान  : (06 अगस्त 2023) : –

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के चेयरमैन और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को तोशाखाना केस में तीन साल क़ैद और जुर्माने की सज़ा सुनाए जाने के बाद लाहौर में उनके आवास से गिरफ़्तार कर पंजाब प्रांत के सीमाई ज़िले अटक की जेल भेजा गया है.

इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद पहले उन्हें हेलीकॉप्टर की मदद से इस्लामाबाद लाने की ख़बरें चल रही थीं लेकिन बाद में पुलिस उन्हें मोटरवे के रास्ते इस्लामाबाद लेकर आई जहां से मेडिकल जांच के बाद उन्हें अटक जेल ले जाया गया है.

इसके बाद उनका अगर कोई पहले का मेडिकल रिकॉर्ड या रिपोर्ट है तो उसकी जांच की जाएगी जिसके बाद जेल में ही उनका एक नया मेडिकल टेस्ट करवाया जाएगा.

जेल अधिकारियों के अनुसार जेल पहुंचने पर किसी भी क़ैदी का मेडिकल टेस्ट करवाना ज़रूरी होता है.

इसके बाद इमरान ख़ान के पास रहे उनके निजी सामान को उनसे लेकर अफ़सर के हवाले कर दिया जाएगा और वह जेल के मालख़ाने में रखा जाएगा. ऐसी चीज़ों को रिहाई के समय वापस कर दिया जाता है.

जेल अधिकारियों के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के मेडिकल टेस्ट और उनसे क़ीमती सामान लेने के बाद उन्हें बैरक में भेज दिया जाएगा.

पंजाब की जेलों में क़ैदियों को तीन कैटेगरी में रखा जाता है.

‘सी’ या कॉमन कैटेगरी में उन क़ैदियों को रखा जाता है जो हत्या, डकैती, चोरी, लड़ाई- झगड़े और दूसरे छोटे अपराधों के मुक़दमों में सज़ा पाए हुए होते हैं.

‘बी’ या बेटर कैटेगरी में उन क़ैदियों को रखा जाता है जो हत्या और लड़ाई-झगड़े के मुक़दमों में शामिल हों लेकिन अच्छे परिवार से संबंध रखते हों. ग्रेजुएशन पास क़ैदी भी ‘बी’ क्लास लेने का अधिकारी होता है.

जेल अधिकारियों के अनुसार ‘ए’ क्लास कैटेगरी ऊंचे पदों वाले सरकारी अधिकारियों के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और उन क़ैदियों को दी जाती है जो अधिक टैक्स अदा करते हों.

जेल के कानूनों के अनुसार इमरान ख़ान को पूर्व प्रधानमंत्री होने की वजह से ‘ए’ क्लास कैटेगरी दी जा सकती है लेकिन अटक की जेल के वार्डन ने बीबीसी उर्दू को बताया कि इस जेल में ‘ए’ या ‘बी’ क्लास कैटेगरी की सुविधा उपलब्ध ही नहीं है.

ध्यान रहे कि पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब की 42 ज़िलों में केवल दो जेलें ऐसी हैं जहां पर क़ैदियों के लिए ‘ए’ क्लास की सुविधाएं मुहैया की गई हैं. इन दोनों जेलों में बहावलपुर जेल और रावलपिंडी की अडयाला जेल शामिल हैं.

क़ैदियों को मिलने वाली सुविधाएं

जेल मैनुअल के अनुसार जिन क़ैदियों को ‘ए’ क्लास दी जाती है उन्हें रहने के लिए दो कमरों की अलग से बनी बैरक दी जाती है जिसके एक कमरे का साइज़ 9 गुणा 12 फ़ुट होता है यानी उसकी लंबाई 9 फ़ुट और चौड़ाई 12 फ़ुट होती है.

क़ैदी के लिए बेड, एयर कंडीशन, फ़्रिज और टीवी के अलावा अलग से बावर्ची ख़ाना भी शामिल होता है.

‘ए’ क्लास के क़ैदी को जेल का खाना खाने की बजाय अपनी पसंद का खाना पकाने की भी इजाज़त होती है.

इसके अलावा ‘ए’ क्लास में रहने वाले क़ैदी को दो सज़ायाफ्ता काम करने वाले भी दिए जाते हैं.

जेल अधिकारियों का कहना है कि ‘ए’ क्लास कैटेगरी में जिन मुजरिमों को रखा जाता है अगर वह घर से खाना मंगवाना चाहें तो इससे पहले सरकार से अनुमति लेनी होती है.

इसके अलावा ऐसे मुजरिमों से उनके रिश्तेदारों या क़रीबियों या उनके वकीलों की मुलाक़ात का हफ़्ते में एक दिन तय होता है लेकिन यह भी सरकार की मंज़ूरी से तय किया जाता है.

जेल अधिकारियों के अनुसार अगर क़ैदी चाहे तो दोनों काम करने वाले उनके साथ रह सकते हैं.

जेल के क़ानूनों के अनुसार जिन क़ैदियों को ‘बी’ क्लास दी जाती है उनको अलग से एक कमरा और एक काम करने वाला दिया जाता है लेकिन अगर जेल सुपरिंटेंडेंट चाहे तो काम करने वालों की संख्या एक से बढ़ाकर दो भी कर सकता है.

‘बी’ क्लास पाने के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं जिनके आधार पर गृह विभाग की मंज़ूरी की ज़रूरत होती है.

‘सी’ कैटेगरी जेल में आम क़ैदियों के लिए होती है जिन्हें न तो घर से खाना मंगवाने की इजाज़त होती है और न ही कोई ऐसी सुविधा मिलती है जिसका संबंध उसकी शिक्षा या पद के अनुसार हो.

पंजाब की एक जेल में उच्च पद पर तैनात अधिकारी ने बीबीसी को बताया के उस्मान बुज़दार की सरकार ने ‘सी’ क्लास के क़ैदियों को गद्दा, कूलर और 10 चैनल वाली केबल लगवाने की सुविधा दी है जिसके लिए सुपरिंटेंडेंट की इजाज़त दरकार होती है.

उनका यह भी कहना था कि किसी राजनीतिक क़ैदी को सुरक्षा कारणों से ‘सी’ क्लास में भी आम क़ैदियों के साथ नहीं बल्कि अलग कोठरी में रखा जाता है.

जेल अधिकारियों के अनुसार ‘ए’ और ‘बी’ क्लास के क़ैदियों के लिए सेवकों की जो सुविधा दी जाती है वह मामूली जुर्म वाले क़ैदी ‘सी’ कैटेगरी के ही होते हैं.

अटक जेल का इतिहास

अटक पाकिस्तान के सबसे बड़े राज्य पंजाब का आख़िरी उत्तरी शहर है जो सन 1904 में अंग्रेज़ों के समय में कैंबलपुर के नाम से आबाद किया गया था.

सिंधु नदी के बाएं किनारे पर जहां 120 साल पुराना शहर अटक मौजूद है वहां थोड़ी ही दूर पर अटैक ख़ुर्द यानी छोटा अटैक के नाम से एक गांव भी है जो इससे पहले से आबाद है.

सोलहवीं सदी में जब मुग़ल बादशाह अकबर ने सिंधु नदी के किनारे पर क़िला बनाया तो उसका नाम भी अटक क़िला रखा था. उस ऐतिहासिक क़िले का एक हिस्सा आज भी पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विसेज़ ग्रुप यानी कमांडोज़ के अधीन है.

इस क़िले में पूर्व फ़ौजी राष्ट्रपति जनरल ज़िया उल हक़ के ख़िलाफ़ कथित तौर पर बग़ावत के मुक़दमे समेत बेनज़ीर भुट्टो के ख़िलाफ़ कथित साजिश करने वालों के ख़िलाफ़ मुक़दमे चलाए गए.

1999 में पाकिस्तान में सैनिक विद्रोह के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ भी इस क़िले में क़ैद रहे और पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ मुक़दमों की सुनवाई भी इसी ऐतिहासिक क़िले में होती रही है और वह एक लंबे अरसे तक यहीं क़ैद रहे.

अटक की ज़िला जेल शहर की स्थापना के एक साल बाद 1905 में बनाई गई और पंजाब के जेलों के विभाग की वेबसाइट के अनुसार यहां 539 क़ैदी रखने की गुंजाइश है जबकि इस समय वहां इससे कहीं अधिक यानी 804 लोग क़ैद हैं.

इस जेल में अतीत में भी राजनेताओं को क़ैद किया जाता रहा है. इस साल फ़रवरी में तहरीक-ए-इंसाफ़ ने जब जेल भरो आंदोलन की शुरुआत की थी तो पार्टी के वाइस चेयरमैन शाह महमूद क़ुरैशी को एक महीने के लिए अटक जेल भेजा गया था.

इससे पहले मुस्लिम लीग नवाज़ के नेता और एक केस में उम्र क़ैद की सज़ा पाने वाले हनीफ़ अब्बासी भी कुछ समय इस जेल में क़ैद रह चुके हैं. उन्हें शुरुआत में अडयाला जेल में रखा गया था लेकिन जेल सुपरिंटेंडेंट के कार्यालय में नवाज़ लीग के अध्यक्ष नवाज़ शरीफ़, मरियम नवाज़ और कैप्टन सफ़दर के साथ मुलाक़ात की ख़बरें सामने आने के बाद उन्हें अटक जेल भेज दिया गया था.

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