रूस के अत्याधुनिक हथियारों के आगे यूक्रेन ऐसे लड़ रहा है अदृश्य युद्ध

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DMT : रूस  : (06 अगस्त 2023) : –

यूक्रेन पर हमले के शुरुआती दिनों में, एक्सपर्ट रूसी सेना के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर यूनिट के कमज़ोर प्रदर्शन पर बहुत हैरान हो रहे थे. लेकिन 18 महीने बाद ही वे यूक्रेन के जवाबी हमले में अच्छी ख़ासी मुश्किलें पैदा कर रहे हैं.

पूर्वी मोर्चे पर एक दीवार के पीछे छिपा एक यूक्रेनी सैनिक फुसफुसाते हुए कहता है, “सिर्फ सिंगल राउंड इस्तेमाल करो. अगर वे क़रीब आते हैं तो इस तरह हम उन्हें सुबह तक रोक सकते हैं.”

सैनिक को पुकारने वाला नाम 1970 के दशक के मशहूर एक्टर एलेन डेलन पर है. यहां का माहौल भी जासूसी फ़िल्मों जैसा ही लगता है.

वो सैनिक हल्के हथियारों से लैस इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस अफ़सरों की टीम का हिस्सा है, जो कि रूसी सेना के टार्गेट पर सबसे ऊपर है.

एलेन को लगता है कि रूसी सैनिकों ने उनका एंटीना देख लिया है और अब वे उनकी तरफ़ आ रहे हैं. इसलिए वो अपनी जगह बदलने का फैसला करता है.

इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में सबसे प्रमुख बात होती है दुश्मन से अदृश्य रहना.

उनका काम है सभी तरह के रूसी हथियारों के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल की पहचान करना, जिनमें ड्रोन, एयर डिफ़ेंस सिस्टम, जैमर, आर्टिलरी और मल्टिपल रॉकेट लॉंचर हैं.

वे सूचनाएं इकट्ठा करते हैं कि कहां से सिग्नल आ रहा है और किस तरह का हथियार है. फिर वे इस जानकारी को दूसरे यूनिट को भेजते हैं जो उन्हें नष्ट करने की कोशिश करती है.

इन सूचनाओं से कमांडरों को युद्ध क्षेत्र की एक तस्वीर बनाने में भी मदद मिलती है.

कर्नल इवान पावलेंको यूक्रेन के जनरल स्टाफ़ इलेक्ट्रॉनिक एंड साइबर वॉरफ़ेयर डिपार्टमेंट से जुड़े हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया, “ये टेक्नोलॉजी का युद्ध है.”

वो कहते हैं, “अगर हम एक ही जगह कई सारे रेडियो स्टेशन देखते हैं, तो मैं समझ जाता हूं कि ये कमांड पोस्ट है. अगर मुझे कुछ रेडियो स्टेशन आगे बढ़ते हुए दिखते हैं तो मैं समझ जाता हूं कि ये जवाबी हमला या आक्रमण है.”

ये एक ऐसा युद्ध है जो धमाकों, मिसाइल हमलों, खंदकों वाली जंग के समानांतर चल रहा है.

आधुनिक ज़माने का लगभग हर हथियार- आर्टिलरी बैटरी से लेकर सटीक वार करने वाली मिसाइलों तक- ये सभी जानकारियां पाने के लिए रेडियो तरंगों, माइक्रोवेव, इनफ्रारेड या अन्य फ्रिक्वेंसी की तरंगों का इस्तेमाल करते हैं.

और यही उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर के निशाने पर ला देता है, जिसका मकसद ही है इन सिग्नलों को पकड़ना और उन्हें जाम कर देना.

यूक्रेन आर्मी के लिए इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर के उपकरण बनाने वाली कंपनी इंफ़ोज़ाहिस्ट के चीफ़ एक्ज़ीक्युटिव यारोस्लाव कालिनिन कहते हैं, “अगर आप इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में हार रहे हैं तो आपकी सेना 19वीं सदी की सेना जैसी हो जाएगी. आप अपने दुश्मन से 10 कदम पीछे चले जाएंगे.”

हाल के सालों में रूस ने जाम करने वाली बहुत सारी टेक्नोलॉजी को विकसित किया है. इनमें प्रमुख हैं-

रूस कर रहा पूरी कोशिश

कर्नल पावलेंको कहते हैं कि फ़रवरी 2022 में चौतरफ़ा हमले के समय रूस के पास 18,000 इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर सैनिक थे.

लेकिन इसके बावजूद उनका प्रदर्शन उम्मीद से बहुत ख़राब रहा था.

यारोस्लाव कालिनिन का कहना है, “हमारे एयर डिफ़ेंस सिस्टम में सेंध लगाने के लिए वे हमारे रडार को नाकाम करने की कोशिश कर रहे थे. वे इसमें आंशिक रूप से सफल रहे लेकिन पूरी तरह नहीं.”

यूक्रेन के एयर डिफ़ेंस सिस्टम अभी भी रूसी लड़ाकू विमानों को मार गिराने में सक्षम हैं.

आसमान में दबदबा क़ायम न कर पाने के चलते ही कीएव पर कब्ज़ा करने की उसकी योजना विफल हो गई.

यही नहीं, रूसी सेना यूक्रेन के संचार को भी बंद करने में असफल रही है, जिसकी वजह से यूक्रेनी सेना को अपनी सुरक्षा चाकचौबंद करने में आसानी हुई.

हालांकि कुछ सैन्य सैटेलाइट नेटवर्क जाम कर दिए गए थे लेकिन फ़ोन और इंटरनेट संचार पर कोई व्यापक असर नहीं पड़ा.

फ़रवरी 2022 में जब रूसी सेना माकोलेव की ओर बढ़ रही थी, ग्रामीण अपने मोबाइल फ़ोन से यूक्रेनी सेना को रूसी सेना की गतिविधि की जानकारी दे रहे थे.

आसान जीत के अति आत्मविश्वास में मॉस्को ने सोचा होगा कि उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर सिस्टम को पूरी तरह तैनात करने की ज़रूरत नहीं है.

रूसियों ने बदली रणनीति

लेकिन ब्लायन क्लार्क, जो कि एक अमेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट में फ़ेलो हैं, कहते हैं कि एक और समस्या ये थी कि इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर यूनिटें बाकी सैनिकों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाईं.

उनके मुताबिक, “रूसी सिस्टम भारी भरकम वाहन पर लाने ले जाने वाले हैं, जिन्हें रक्षात्मक कामों के लिए डिज़ाइन किया गया है. और इसी वजह से उनके इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर सिस्टम बहुत तेज़ व फुर्तीले नहीं थे और उनकी संख्या भी बहुत ज़्यादा नहीं थी.”

वो कहते हैं, ‘लेकिन रूसियों ने अपने ग़लतियों से सीखा.’

बड़े भारी भरकम उपकरणों को इस्तेमाल करने की बजाय, जिन्हें दूर से ही पहचान और नष्ट किया जा सकता है, अब वे छोटे और कहीं ज़्यादा चलायमान उपकरणों पर भरोसा कर रहे हैं.

ब्रायन क्लार्क कहते हैं कि यूक्रेन के जवाबी हमले को धीमा करने के लिए रूस ने मोर्चे के समानांतर सैकड़ों इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर यूनिट तैनात कर दिए हैं.

इनमें जीपीएस जैमर से लेकर ऐसे सिस्टम हैं जो रडार और अमेरिकी विमानों को यूक्रेन के हमले के लिए टार्गेट की निशानदेही को रोकते हैं.

ज़िटेल और पोल-21 जैसे रूसी सिस्टम जीपीएस और अन्य सैटेलाइट सिग्नलों को जाम करने में ख़ासतौर पर बहुत असरदार साबित हो रहे हैं.

वे ऐसे ड्रोन को नाकाम कर सकते हैं जो आर्टिलरी फ़ायर के निर्देश देते हैं और रूसी सैनिकों पर कामीकाज़ी (आत्मघाती) हमले करते हैं.

नैटो देश द्वारा यूक्रेन को दिए गए अधिकांश अत्याधुनिक हथियार रूसी जैमरों के निशाने पर आसानी से आ सकते हैं क्योंकि वे जीपीएस सिग्नल इस्तेमाल करते हैं.

क्लार्क के अनुसार, “ज़िंटेल जैमर के 30 किलोमीटर के इलाक़े में जीपीएस सिग्नल को जाम कर सकता है. अमेरिका निर्मित जेडीएएम बम जैसे हथियारों के लिए, जो कि टार्गेट तक पहुंचने के लिए जीपीएस रिसीवर का इस्तेमाल करता है, बहुत संभावना है कि रास्ता भटक जाए और निशाना चूक जाए.”

यही बात मल्टिपल रॉकेट सिस्टम हिमार्स द्वारा दागे गए गाइडेड रॉकेट पर भी लागू होती है. पिछले बसंत में यूक्रेन के सफल जवाबी हमले में इसका एक बड़ा योगदान था.

दोनों ही पक्ष एक दूसरे के ख़िलाफ़ जैमर से लेकर हथियारों की रीप्रोग्रामिंग तक जवाबी तरकीबें विकसित करने की कोशिश करते रहे हैं.

ब्रायन क्लार्क इसे ‘हमले और जवाबी हमले’ की तीखी होड़ बताते हैं.

कर्नल पावलेंको इस बात से इनकार नहीं करते हैं कि रूसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण यूक्रेन के उन हथियारों की क्षमता और सटीकता को काफी कम कर सकते हैं जो उसे पश्चिमी सहयोगियों से मिले हैं.

वो कहते हैं कि यही कारण है कि रूसी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर सिस्टमों को निशाना बनाना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है.

उनके मुताबिक, “लेज़र गाइडेड हथियार से हमला करने से पहले हमें ये जानकारी इकट्ठा करनी पड़ती है कि क्या उस इलाक़े में कोई जैमर है. उसे तलाश कर नष्ट करने के बाद ही हम ये हथियार इस्तेमाल करते हैं.”

वो कहते हैं कि फ़रवरी 2022 से यूक्रेन ने रूस के 100 बड़े इलेक्ट्रॉनिक वॉरफ़ेयर सिस्टम को नष्ट किया है. बीबीसी स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टि नहीं कर सकता है.

एलेन जैसे सैनिक इंटेलिजेंस यूनिट इस संख्या को बढ़ाने के लिए लगातार उनकी पहचान करने में लगे हैं.

एक नई जगह पर एलेन की टीम ने रूसी सैनिकों के बीच बातचीत को पकड़ा है और वे उनकी बात सुन रहे हैं. ये रूसी आर्टिलरीमैन के बीच की बातचीत है. एलेन की टीम अब उनके सटीक ठिकाने का पता ढूंढ रही है.

वो कहते हैं कि जंग में छोटी से छोटी जानकारी भी बहुत अहम होती है.

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