एआईजी राज जीत हुंदल बर्खास्त, संपत्तियों की जांच का आदेश

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DMT : कपूरथला : (18 अप्रैल 2023) : – पंजाब में करोड़ों के ड्रग केस में हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री के पास पहुंची 3 रिपोर्टों पर एक्शन शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई शुरू करते हुए सोमवार को पंजाब पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारी राज जीत सिंह हुंदल को न सिर्फ बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए, बल्कि विजिलेंस ब्यूरो को ड्रग तस्करी केस में राज जीत को नामजद करने के आदेश भी दिए। विजिलेंस को राज जीत हुंदल द्वारा नशा तस्करी से बनाई गई संपत्ति की जांच करने को भी कहा गया है। राज जीत हुंदल वर्तमान में पंजाब के एनआरआई विंग में एआईजी-मुख्यालय के रूप में तैनात थे। उनके मुख्य साथी दागी इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह को जुलाई 2017 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। उनके साथ ही 3 अन्य पुलिस अधिकारियों के नाम भी रिपोर्ट में बताए जा रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से फिलहाल राज जीत के खिलाफ ही एक्शन लिया गया है।

मु्ख्यमंत्री ने इस संबंध में ट्वीट किया- ‘नशा तस्करी में शामिल किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा, सीलबंद लिफाफों की रिपोर्टों को खंगालने के बाद राज जीत सिंह हुंदल पीपीएस अधिकारी को ड्रग तस्करी केस में नामजद करके तुरंत नौकरी से बर्खास्त किया जाता है। विजिलेंस को चिट्टे की तस्करी से कमाई हुई संपत्ति की जांच करने के लिए भी कहा गया है।’ उन्होंने कहा कि नशे का व्यापार पिछली शिअद-भाजपा और कांग्रेस सरकारों के दौरान फला-फूला।

गौरतलब है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा राज्य में नशा तस्करी की जांच के लिए 2017 में एसआईटी का गठन किया गया था। एसआईटी द्वारा हाईकोर्ट में 4 सीलबंद रिपोर्ट दाखिल की गईं, जिनमें से 3 रिपोर्ट हाल ही में हाईकोर्ट द्वारा खोलते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री को कार्रवाई के लिए भेजी गई हैं। इन्हीं रिपोर्ट के आधार पर एआईजी राज जीत सिंह हुंदल के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं।

एसटीएफ के प्रमुख एडीजीपी हरप्रीत सिंह सिद्धू ने जब तत्कालीन इंस्पेक्टर (इस समय जेल में) इंद्रजीत सिंह को गिरफ्तार किया तो बचाव में राज जीत सिंह की ओर से अपने खिलाफ पक्षपात करने का आरोप लगाने संबंधी याचिका दायर की गई, जिस पर हाईकोर्ट ने एसआईटी को जांच के लिए दो पैरामीटर भी सूचीबद्ध किए थे। जांच में पाया गया कि राज जीत के खिलाफ एडीजीपी हरप्रीत सिद्धू का रवैया पक्षपातपूर्ण नहीं था। राज जीत द्वारा याचिका में लगाए गए आरोप झूठे निकले।

2013 के बाद से संपत्ति में आया उछाल : एसआईटी

2013-2014 के दौरान जब दागी पुलिस अधिकारी इंद्रजीत सिंह उनके अधीन काम करते थे तो राज जीत सिंह ने तेजी से संपत्ति बनाई। एसआईटी द्वारा 3 जांच रिपोर्टों में उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर बनाई इस संपत्ति में उछाल पर सवाल उठाये गये हैं। इस संपत्ति को दोस्तों और रिश्तेदारों के पैसे से खरीदा हुआ दिखाया गया है। डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, विशेष डीजीपी प्रबोध कुमार और आईजी (अब विधायक) कुंवर विजय प्रताप सिंह की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने कहा, ‘इस अवधि (2013 के बाद) के दौरान राज जीत सिंह द्वारा ऋण/उपहार के रूप में भारी मात्रा में धनराशि जुटाई गई।’ 

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