कचरा, सीवेज प्रबंधन को बनाएं 1500 करोड़ का कोष

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DMT : चंडीगढ़ : (22 अप्रैल 2023) : – राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि वह कचरा प्रबंधन, सीवेज ट्रीटमेंट के लिए 1,500 करोड़ रुपये का कोष बनाये। इस कोष को ‘लैप्स नहीं होने वाला’ की तरह रखा जाएगा।

हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने ट्रिब्यूनल के समक्ष इस संबंध में प्रस्तुति रखी। उन्होंने बताया कि 88 शहरी स्थानीय निकायों में 5,544 टीपीडी (टन प्रतिदिन) कचरा उत्पन्न होता है। इनमें से 3,942 टीपीडी को संसाधित किया जा रहा है। राज्य में अनुमानित पहले से जमा अपशिष्ट 101 लाख टन है, जिसमें से 48.19 लाख टन कचरे का उपचार किया जाता है, जबकि 88 में से 76 स्थलों पर 52.81 लाख टन का उपचार किया जाना बाकी है। उन्होंने बताया कि राज्य की 1,168 ग्राम पंचायतों में कुल 640 टीपीडी कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से पूरे कचरे को संसाधित किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में 1,508 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है, जबकि उपचार क्षमता 1,835 एमएलडी है। गौर हो कि हाल ही में गुरुग्राम के आयुक्त ने एनजीटी को बताया कि अभी भी वहां 28 लाख मीट्रिक टन कचरा पुराना पड़ा हुआ है।

ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव से कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज प्रबंधन दोनों के लिए ईमानदारी से समय-सीमा तय की जाये। ट्रिब्यूनल ने कहा, ‘प्रबंधन सभी गांवों के लिए होना चाहिए। महज 1,168 गांवों तक सीमित नहीं।’ एनजीटी ने कहा कि मुख्य सचिव यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि समालखा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और पलवल में तत्काल एसटीपी स्थापित करें और नालियों में कचरे के निर्वहन को रोकें।

कीमती सार्वजनिक भूखंड पर सालों से कचरे के ढेर लगे हुए हैं। इनकी वजह से पानी, हवा प्रदूषित हो रही है और आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। ये ढेर असहनीय दुर्गंध छोड़ते हैं और आसपास के लोगों के लिए वातावरण खतरनाक बना हुआ है। उनका जीवन नारकीय हो गया है। कानून के राज और सभ्य समाज में ऐसी स्थिति अस्वीकार्य है।

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