DMT : कर्नाटक : (07 मई 2023) : – कांग्रेस ने साफ़ किया है कि अपने चुनावी मेनिफ़ेस्टो में वो बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव में कोई बदलाव नहीं करने जा रही है.
हालांकि, मेनिफ़ेस्टो में किए अपने वायदे के बारे में वो स्पष्ट जानकारी देने की कोशिश कर रही है, क्योंकि इसने बीजेपी को उस पर खुलकर हमला करने का हथियार दे दिया है.बीजेपी के वरिष्ठ नेता और ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस पर हमलावर हैं. बीजेपी ने पिछले दिनों यहां के मंदिरों और अन्य जगहों पर हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन कराया था. कर्नाटक के अपने नॉन स्टॉप दौरे में प्रधानमंत्री अपनी सभाओं से पहले और बाद में लगातार ‘बजरंग बली’ का नाम ले रहे हैं.प्रधानमंत्री 29 अप्रैल से ही पूरे कर्नाटक में हेलीकॉप्टर से एक ज़िले से दूसरे ज़िले जा रहे हैं और रोज़ाना तीन से चार रैलियां और रोड शो कर रहे हैं. शनिवार को वो 10 किलोमीटर लंबा और रविवार को 24 किलोमीटर लंबा रोड शो करने वाले हैं.
कांग्रेस ने अपने मेनिफ़ेस्टो में कहा है, “जाति और धर्म के आधार पर समुदायों में नफ़रत फैलाने वाले लोगों और संगठनों के ख़िलाफ़ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई करने के लिए पार्टी प्रतिबद्ध है.”मेनिफ़ेस्टो के अनुसार, “हम मानते हैं कि क़ानून और संविधान पवित्र है और बजरंग दल, पीएफ़आई या अन्य संगठन बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदायों में नफ़रत फैला कर इसका उल्लंघन नहीं कर सकते. हम क़ानून के तहत उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेंगे जिसमें प्रतिबंध भी शामिल है.”
कांग्रेस बैकफुट पर?
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता प्रोफ़ेसर गौरव वल्लभ ने बीबीसी हिंदी से कहा, “मेनिफ़ेस्टो में किए गए वायदे को वापस लेने या इसमें संशोधन करने का कोई सवाल नहीं है. हम जो कह रहे हैं उसका मतलब है कि हम ऐसे किसी भी संगठन के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे जो समाज में नफ़रत फैलाते हैं. इसमें बैन भी शामिल है, “
उन्होंने कहा, “किसी भी हालत में कोई भी ये नहीं कह सकता कि जो कुछ भी हम कह रहे हैं वो क़ानून से इतर है या असंवैधानिक है.”
प्रोफ़ेसर वल्लभ ने कहा, “अगर हम कह रहे हैं कि हम संगठन पर प्रतिबंध लगाएंगे तो ये ग़लत अर्थ निकालना हुआ. हम 40 परसेंट कमीशन और चार गारंटियों के अपने चुनावी अभियान के ज़रिए बीजेपी सरकार में भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए आगे बढ़ रहे हैं.”
अब जबकि बीजेपी ने बजरंग दल का नाम लेने को लेकर कांग्रेस के ख़िलाफ़ अपना हमला तेज़ कर दिया है, इसे लेकर कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भी सफाई दी है.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, “हम हमेशा से ही भगवान हनुमान के भक्त रहे हैं. लेकिन हम किसी भी भगवान के नाम पर संगठन बनाकर क़ानून अपने हाथ में लेने की इजाज़त नहीं देंगे और ऐसी ताक़तों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करेंगे. हमने अपने मेनिफ़ेस्टो में सिर्फ यही कहा है, लेकिन बीजेपी इसे एक इमोशनल मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.”
उन्होंने यहां तक कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो पूरे कर्नाटक में आंजनेय (हनुमान) के मंदिर बनवाने के लिए वो प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा, “हम भगवान हनुमान के नाम पर एक विशेष स्कीम लॉन्च करेंगे. केवल अपने नैरेटिव को सेट करने के लिए मोदी इस मुद्दे को ऐसे उछाल रहे हैं जैसे हम हनुमान भक्त नहीं हैं.”
हालांकि पार्टी के नेताओं ने निजी बातचीत में स्वीकार किया कि जिस हिस्से पर इतना हंगामा मचा है उसको और ठीक तरह से लिखा जा सकता था.
बजरंग दल का नाम इसलिए लेना पड़ा…
एक नेता ने बीबीसी से कहा, “इस हिस्से में बजरंग दल या पीएफ़आई का नाम नहीं भी लिखा जा सकता था, क्योंकि पीएफ़आई को तो पिछले साल ही केंद्र सरकार ने बैन कर दिया है. सच कहें तो हममें से कुछ लोगों को लगता है कि हमें ये मुद्दा बीजेपी के हाथों में नहीं देना चाहिए था.”
कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं को लगता है कि मेनिफ़ेस्टो में इसके लिखे जाने के पीछे भी कारण है.
वो कहते हैं, “बजरंग दल और पीएफ़आई का विशेषकर ज़िक्र करके पार्टी मुसलमान और हिंदू दोनों को ये संदेश देना चाह रही है कि वो समाज के सभी तबकों से एक समान बर्ताव कर रही है. लेकिन इसका दूसरा पक्ष ये है कि बजरंग दल का ज़िक्र करके पार्टी ये सुनिश्चित करना चाहती है कि मुस्लिम वोट जनता दल सेक्युलर की ओर न जाए.”
पार्टी नेता का कहना है, “जहां हमारी पार्टी मजबूत स्थिति में है, जेडीएस मुस्लिम वोटों को रिझाने के लिए हर तरह की कहानी प्रचारित कर रही है.”
अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर ए नारायण ने बीबीसी से कहा, “ये बिल्कुल स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी ने जो किया है वो उसे चुनाव के समय नहीं करना चाहिए. उन्हें पूरे पैराग्राफ़ को बेहतर तरीक़े से लिखना चाहिए था, जैसे कि, चुनाव जीतने के बाद वो हर उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करेगी जो समाज में द्वेष फैलाने की कोशिश करता है.”
वो कहते हैं, “भले ही कांग्रेस के ख़िलाफ़ अभियान चलाने के लिए बीजेपी के हाथों में अब एक हथियार आ गया हो, लेकिन ये बिल्कुल साफ़ है कि चुनाव के इस चरण में इस तरह की बयानबाज़ी का वोटरों की एक बड़ी संख्या पर कोई असर नहीं पड़ेगा.”
“दो तीन ज़िलों के चुनावी क्षेत्रों में मैंने देखा है कि जिन मुद्दों से लोग अधिक प्रभावित हैं उनमें सत्ता विरोधी लहर और महंगाई जैसे मुद्दे शामिल हैं. सांप्रदायिक मुद्दे फिलहाल उनकी चिंता नहीं है.”