चीनी लहसुन को लेकर अमेरिका में चिंता, सीनेटर ने बताया सुरक्षा के लिए ख़तरा

Hindi International

DMT : अमेरिका  : (09 दिसंबर 2023) : –

अमेरिका में आयात हो रहे चीनी लहसुन को लेकर दावा किया गया है कि यह देश की सुरक्षा के लिए सही नहीं है.

अमेरिकी सीनेटर ने सरकार से मांग की है कि वो चीन से आयात लहसुन के राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले असर की जांच करे.

रिपब्लिकन सीनेटर रिक स्कॉट ने वाणिज्य मंत्री को पत्र लिखकर ये दावा किया है कि चीनी लहसुन असुरक्षित है. उनका दावा है कि यह लहसुन गंदे तरीक़ों से उगाया जाता है.

चीन लहसुन निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा उपभोक्ता है.

अमेरिका चीन पर आरोप लगाता रहा है कि वो बेहद कम क़ीमतों पर उसके देश में लहसुन को ‘खपा’ रहा है.

1990 के मध्य से अमेरिका ने चीन के कई सामानों पर भारी टैरिफ़ या टैक्स लगाए हैं ताकि अमेरिका के उत्पादकों को मार्केट में क़ीमतों के गिरने से बचाया जा सके.

साल 2019 में ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में इन टैरिफ़ को और बढ़ाया गया था.

अमेरिकी सीनेटर ने अपने पत्र में चिंताएं ज़ाहिर की हैं. उन्होंने पत्र में लिखा है कि ‘विदेश में उगे लहसुन की सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर जनता का स्वास्थ्य एक गंभीर चिंता का विषय है, ख़ासतौर पर कम्युनिस्ट चीन में उगाया गया लहसुन.’

उन्होंने पत्र में उन तरीक़ों को लेकर दावा किया है जिनके ज़रिए लहसुन उगाया जा रहा है. उनका कहना है कि इनको उगाने का तरीक़ा दर्ज है जिसमें ऑनलाइन वीडियो, कुकिंग ब्लॉग और डॉक्यूमेंट्री शामिल हैं.

साथ ही अमेरिकी सीनेटर ने दावा किया है कि मल के पानी के बीच लहसुन उगाया जा रहा है.

उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय से कहा है कि वो इस पर कार्रवाई करे. उन्होंने उस क़ानून के तहत जांच के लिए कहा है जिसमें किसी ख़ास चीज़ के आयात के कारण अमेरिकी सुरक्षा पर असर पड़ता है.

इसके अलावा सीनेटर स्कॉट ने अलग-अलग तरह के लहसुन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा है कि इन्हें भी देखा जाना चाहिए.

उन्होंने पत्र में लिखा है, “सभी तरह के लहसुन, जिनमें साबुत या उसकी कलियां, छिले हुए, ताज़ा, फ़्रोज़न, पानी या दूसरे पदार्थ में पैक लहसुन को देखा जाना चाहिए.”

वैज्ञानिकों का क्या है कहना

अमेरिकी सीनेटर का तर्क है कि ‘फ़ूड सेफ़्टी और सिक्योरिटी को लेकर यह इमर्जेंसी है जो कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा, जनता के स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि के लिए गंभीर ख़तरा पैदा करती है.’

वैज्ञानिक मुद्दों को विस्तार से समझाने वाली क्युबेक की मैकगिल यूनिवर्सिटी के द ऑफ़िस फ़ॉर साइंस एंड सोसाइटी का कहना है कि ‘इसके कोई सुबूत नहीं हैं’ कि चीन में लहसुन उगाने के लिए मल के पानी को उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

साल 2017 में यूनिवर्सिटी ने एक लेख प्रकाशित करते हुए कहा था कि ‘इस मामले में को लेकर कोई दिक़्क़त नहीं है.’

“इंसानों का मल उसी तरह से असरदार उर्वरक का काम करता है जिस तरह से जानवरों का मल. इंसानों के मल को खेतों में फेंककर फसलों को उगाना सुनने में अच्छा नहीं लगता है लेकिन जितना आप सोचते हैं ये उससे अधिक सुरक्षित है.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *