DMT : इस्लामाबाद : (05 अगस्त 2023) : –
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को कोर्ट के फ़ैसले के बाद लाहौर स्थित उनके आवास ज़मान पार्क से गिरफ़्तार कर लिया गया है.
इस्लामाबाद के जिला और सत्र न्यायालय ने इमरान ख़ान को तोशाखाना मामले में दोषी पाते हुए उन्हें तीन साल जेल की सज़ा सुनाई है, साथ ही उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
इमरान ख़ान पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. कोर्ट ने पीएम पद पर रहते हुए उन्हें मिले सरकारी तोहफ़े बेचने और उससे होने वाली आय का ब्योरा न देने का आरोप लगाया है. इमरान ने उन पर लगे आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वो इसके ख़िलाफ़ अपील करेंगे.
जज ने अपने फ़ैसले में इमरान ख़ान की तुरंत गरफ्तारी के आदेश दिए, जिसके बाद उन्हें लाहौर में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया है.
इमरान ख़ान साल 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने गए थे, लेकिन बीते साल एक अविश्वास प्रस्ताव में हार जाने के बाद उन्हें पद से हटना पड़ा.
अप्रैल 2022 में पीएम पद से हटाए जाने के बाद से इमरान ख़ान पर 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. इमरान ख़ान इन्हें झूठे मामले बताते रहे हैं और उन पर लगाए आरोपों से इनकार करते रहे हैं.
इमरान ख़ान को पहले भी एक बार गिरफ्तार करने की कोशिश की गई थी लेकिन उस वक्त उनके समर्थकों उन्हें पुलिस कस्टडी से दूर रखने के लिए सड़कों पर उतर आए थे.
इसी साल मई में इमरान ख़ान को कोर्ट के आदेश पर पेश न होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि बाद में उन्हें ये कहते हुए रिहा कर दिया गया कि उनकी गिरफ्तारी ग़ैर-क़ानूनी है.
उस वक्त से उन पर उनकी पार्टी पर प्रशासन के दबाव काफी बढ़ गया था.
पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी, हज़ारों कार्यकर्ताओं को इमरान ख़ान की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया.
इस्लामाबाद की सुरक्षा ‘हाई अलर्ट पर’
इस्लामाबाद पुलिस के प्रवक्ता के मुताबिक़ इमरान ख़ान से जुड़े मामले की सुनवाई के मद्देनज़र शहर राजधानी में हाई अलर्ट जारी किया गया है और सुरक्षा के बेहद कड़े इंतज़ाम किए गए हैं.
उन्होंने बताया, “सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वो अपने क्षेत्रों में रहें. शहर के सभी इलाक़ों में चेकिंग बढ़ा दी गई है. शहर में यातायात सामान्य रूप से चल रहा है. नागरिकों को किसी भी गतिविधि की सूचना पुलिस को कॉल 15 पर देनी चाहिए.”
कोर्ट के फ़ैसला जब कोर्ट से बाहर खड़ी भीड़ को सुनाया गया तो कुछ लोग (जिनमें कुछ सरकारी वकील भी शामिल थे) इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करने लगे.
इस बीच इमरान ख़ान का एक वीडियो उनके सोशल मीडिया हैंडल पर डाला गया है जिसमें वो कहते हैं कि “मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है इसलिए गिरफ्तार होने से पहले मैंने ये संदेश आपके लिए रिकॉर्ड किया है.”
ओक मिनट 57 सेकंड के इस वीडियो में इमरान ख़ान कहते हैं, “जब तक मेरा ये संदेश आप तक पहुंचेगा मुझे गिरफ्तार किया जा चुका होगा और मैं जेल में होउंगा. मेरी आपसे अपील है कि आप अपने घरों में चुप हो कर मत बैठना, मैं ये आपके लिए कर रहा हूं और आपके बच्चों के भविष्य के लिए कर रहा हूं.”
“अगर आप अपने हक़ों के लिए नहीं खड़े होंगे तो आप ग़ुलाम बन जाएंगे और ग़ुलाम ज़मीन पर चींटियों की तरह होती हैं. पाकिस्तान एक ख़्वाब का नाम था, हम किसी इंसान के सामने नहीं झुकते. ये इंसाफ़ की जंग है, आपके हक़ों की जंग है, आपकी आज़ादी की जंग है. तब तक आपको लड़ते रहना जब तक आपको अपना हक़ नहीं मिलता.”
उन्होंने पश्चिमी मुल्कों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि “आपको वोट के ज़रिए ये लड़ाई लड़नी है जो कि आपका मूल अधिकार है. कोई और मुल्क इस देश पर कब्ज़ा न कर सके, जैसा कि आज बैठ गए हैं.”
तहरीक़-ए-इंसाफ़ ने क्या कहा?
इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक़-ए-इंसाफ़ ने फ़ैसले को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा कि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
पार्टी के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, “इतिहास के इस सबसे ख़राब मुक़दमे में एक पक्षपाती जज ने न्याय की हत्या करने की कोशिश की है और मामले में तथ्यों को एक ख़ास एजेंडे के तहत सामने लाया गया है.”
पाकिस्तान चुनाव आयोग के वकील अमजद परवेज़ का कहना है कि इस अदालत से सज़ा मिलने पर इमरान ख़ान अब पांच साल तक के लिए चुनावों में हिस्सा लेने के अयोग्य हो जाएंगे.
ये बदला नहीं है – मरियम औरंगज़ेब
इमरान ख़ान की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए पाक सरकार में सूचना मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने कहा है कि उन्हें राजनीतिक बदला लेने के लिए निशाना नहीं बनाया गया है.
इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में मरियम औरंगज़ेब ने कहा, “अगर किसी को शक़ है कि इमरान ख़ान को राजनीतिक बदले की भावना से टार्गेट किया जा रहा है तो उन्हें कोर्ट का फ़ैसला पढ़ना चाहिए. इसमें लिखा है कि इमरान ख़ान को अपना पक्ष रखने के कई मौक़े दिए गए.”
उन्होंने कहा, “क़ानूनी दायरे में रहते हुए, क़ानूनी ज़रूरतें पूरी होने के बाद उनकी गिरफ्तारी की गई थी.”
उन्होंने कहा, “इमरान ख़ान ने एक नैरेटिव बनाने की कोशिश की, जब उनसे किसी सवाल का जवाब पूछा जाता तो वह इसे दूसरी चीजों से जोड़ देते और संस्थानों पर हमला करते. जब भी जवाब देने की बात आई, उनके पास कोई जवाब नहीं था.
उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे मामले के दौरान इमरान ख़ान सिर्फ तीन बार कोर्ट में पेश हुए और कोर्ट में भी वो झूठ बोलते रहे.
क्या है पूरा मामला?
अक्तूबर 2022 में पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने तोशाखाना मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अगले पांच साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य क़रार दिया था.
चुनाव आयोग ने कहा था कि इमरान ख़ान ने सत्ता में रहते हुए तोशाखाना से जो तोहफ़े लिए थे, उसके बारे में अधिकारियों को उन्होंने सही जानकारी नहीं दी. इमरान ख़ान इन आरोपों को ग़लत बताते हैं.
इमरान ख़ान पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए क़ीमती तोहफ़े अपने फ़ायदे के लिए बेचे. इमरान ख़ान ने चुनाव आयोग को दी गई अपनी संपत्ति की घोषणा में उसका ब्योरा नहीं दिया था.
चुनाव आयोग ने बाद में ज़िला अदालत में शिकायत दर्ज की थी कि प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान ख़ान को जो गिफ़्ट मिले उसे उन्होंने बेच दिया और इस मामले में उन्हें आपराधिक क़ानूनों के ज़रिए सज़ा दी जाए. आरोप है कि इमरान ख़ान ने प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाना के मंहगे गिफ़्ट, घड़िया अपने फ़ायदे के लिए बेची थीं.
1974 में पाकिस्तान में तोशाखाना स्थापित किया गया. ये कैबिनेट डिवीज़न के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक सरकारी विभाग है जहां देश के प्रमुखों, मंत्रियों, नौकरशाहों, सासंदों को विदेशी सरकार या अधिकारियों की ओर से मिले मंहगे गिफ़्ट रखे जाते हैं.
यहां प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या दूसरे बड़े अधिकारियों को किसी यात्रा के दौरान मिलने वाले क़ीमती तोहफों को रखा जाता है.
किसी भी विदेश यात्रा के समय, विदेश मंत्रालय के अधिकारी इन तोहफ़ों का रिकॉर्ड रखते हैं और वतन वापसी पर उन्हें तोशाखाना में जमा कर दिया जाता है.
तोशाखाना में रखी गई चीज़ों को स्मृति चिन्ह की तरह देखा जाता है. यहां रखी हुई चीज़ों को कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद ही बेचा जा सकता है.
पाकिस्तान में अगर मिलने वाले उपहार की क़ीमत 30 हज़ार रुपये से कम है तो उसे व्यक्ति मुफ़्त में अपने पास रख सकता है.
वहीं अगर गिफ़्ट की क़ीमत 30 हज़ार रुपये से ज़्यादा है तो उस क़ीमत का 50 प्रतिशत जमा करके उसे ख़रीदा जा सकता है. साल 2020 से पहले सामान की असल क़ीमत का सिर्फ़ 20 प्रतिशत ही जमा करना पड़ता था.
इन तोहफों में आमतौर पर महंगी घड़ियां, सोना और हीरे के गहने, क़ीमती सजावट का सामान, स्मृति चिन्ह, हीरा जड़ी कलम, क्रॉकरी और कालीन शामिल होते हैं.