DMT : पाकिस्तान : (17 जनवरी 2024) : –
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर ईरान को चेतावनी दी और कहा कि “बिना उकसावे के हमारे हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने और देश के भीतर हमला करने की हम निंदा करते हैं.”
मंत्रालय ने कहा कि “ये पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.”
इससे पहले ईरानी सरकारी मीडिया में ख़बरें आईं कि ईरानी रिवॉल्युश्नरी गार्ड कोर ने पाकिस्तान में चरमपंथियों के दो ठिकानों पर हमला किया है.
हालांकि पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि धमाके बलूचिस्तान प्रांत में हुए हैं.
पाकिस्तान की पूर्वी सीमा ईरान से सटती है. दोनों लगभग 900 किलोमीटर (559 मील) लंबी सीमा साझा करते हैं.
ईरान के पूर्वी सीमा में सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत है जो पाकिस्तान के पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत से जुड़ा है. सीमा के पास के इन इलाक़ों में कम ही अबादी रहती है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, पाकिस्तान की चेतावनी के बाद अब तक ईरान ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
उन्होंने पाकिस्तान से अपील की थी कि वो सीमा के पास के इलाक़ों में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ क़दम उठाए और वहाँ उनके ठिकाने न पनपने दे.
इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अपने आधिकारिक दौरे पर ईरान में हैं.
सोमवार को उन्होंने ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अब्दुल्लाहियान से मुलाक़ात की थी.
बताया जा रहा है कि मध्य-पूर्व में जारी तनाव और लाल सागर पर मालवाहक जहाज़ों पर हो रहे हूती विद्रोहियों के हमलों को लेकर चर्चा हुई.
ईरान का हमला ऐसे वक्त हुआ है जब डावोस में हो रहे वर्ल्ड इकोनॉमिस फ़ोरम में पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवार अल-हक़ काकड़ की मुलाक़ात ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान से हुई है.
दोनों के बीच किन मुद्दों पवर बातटीत हुई इस पर अब तक अधिक जानकरी साझी नहीं की गई है.
दूसरी तरफ इसी सप्ताह भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी ईरान के दौरे पर गए थे. उन्होंने वहां राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाक़ात की. साथ ही ईरानी राजनयिकों के साथ मध्यपूर्व में जारी तनाव और लाल सागर में मालवाहक जहाज़ों पर हूती विद्रोहियों के हमलों पर चर्चा की है.
पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी किया और कहा कि ईरान ने बिना उकसावे के उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है और उसकी सीमा के भीतर हमला किया है, जिससे दो मासूम लड़कों की और तीन लड़कियों की मौत हो गई है.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ये पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है और इसे क़तई स्वीकार नहीं कया जा सकता. पाकिस्तान ने कहा है कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि “ये इसलिए और भी चिंताजनक बात है क्योंकि पाकिस्तान और ईरान के बीच बातचीत के कई चैनल मौजूद हैं लेकिन इसके बावजूद इस ग़ैर-क़ानूनी काम को अंजाम दिया गया है.”
पाकिस्तान ने कहा है कि तेहरान में मौजूद ईरानी विदेश मंत्रालय के आला अधिकारी से इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई है.
साथ ही पाकिस्तान ने देश में ईरान के राजनयिक को तलब कर अपना विरोध जताया और कहा कि “ये पाकिस्तान की संप्रभुता का खुला उल्लंघन है, इसका जो भी परिणाम होगा उसके लिए ईरान ही ज़िम्मदार होगा.”
बयान में ये भी कहा गया है कि “पाकिस्तान ने हमेशा ही ये कहा है कि आतंकवाद इलाक़े के सभी देशों के लिए एक साझा ख़तरा है, जिसके लिए साथ मिलकर कार्रवाई की ज़रूरत है. अच्छे पड़ोसी संबंधों के लिहाज़ से इस तरह के एकतरफ़ा क़दम सही नहीं हैं और इसका असर आपसी भरोसे और विश्वास पर पड़ सकता है.”
इस संगठन का नाम जुनदल्लाह हुआ करता था लेकिन साल 2012 में इसने अपना नाम बदल दिया. नेशनल इंटेलिजेंस की वेबसाइट के अनुसार, इसे ‘पीपल्स रेज़िस्टेन्स ऑफ़ ईरान’ भी कहा जाता है.
अब्दुल मलिक रेगी ने 2002 या 2003 में इस संगठन को बनाया था और वो कई साल तक इसके नेता रहे.
ये संगठन 2003 में उस वक़्त चर्चा में आया, जब इसने ने ईरान के सरकारी ठिकानों कई हमले किए और पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदिनेजाद की हत्या की कोशिश की.
अब्दुल मलिक रेगी को ईरान ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें साल 2010 में मौत की सज़ा दी गई, जिसके बाद ये समूह कई हिस्सों में बँट गया. इनमें से जैश अल-अद्ल सबसे प्रभावी हो कर उभरा.
ये संगठन अधिकतर ईरानी सुरक्षाबलों को निशाना बनाता है, लेकिन सरकारी अधिकारियों और आम शिया मुसलमानों पर भी हमले करता रहा है. इसके हमले के तरीक़ों में गोलीबारी करना, अगवा करना, हत्या करना और आत्मघाती धमाले शामिल हैं.
इस संगठन ने सीमा पर बने चेक नाकों पर और यहाँ के होकर गुज़रने वाली गाड़ियों पर भी छोटे हथियारों और रॉकेट से हमले किए हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने चार नवंबर 2010 को जुनदल्लाह को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था. बाद में इसमें संशोधन कर 2019 में जैश अल-अद्ल का नाम इसमें शामिल किया गया.
पहले भी हुए हैं सीमा पार हमले
शिया बहुल ईरान और सुन्नी बहुल पाकिस्तान में इस सीमा के पास पहले भी हमले होते रहे हैं.