ब्रिटेन में किंग और क्वीन का काम क्या होता है?

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DMT : ब्रिटेन : (06 मई 2023) : –

किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक की प्रक्रिया शुरू हो गई है. दुनिया भर से कई चर्चित हस्तियां समारोह में शिरकत करने पहुंची हैं.

सितंबर 2022 में ब्रिटेन में महारानी एलिज़ाबेथ II के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी किंग चार्ल्स III को तुरंत राजगद्दी सौंप दी गई थी.

ब्रिटेन में संसदीय राजतंत्र है, यानी वहाँ राजा भी हैं और संसद भी. ये दोनों ही वहाँ के मज़बूत संस्थान हैं जो एक-दूसरे के पूरक भी हैं.

किंग ब्रिटेन के राष्ट्र प्रमुख हैं. हालांकि राजगद्दी की शक्तियां प्रतीकात्मक और औपचारिक हैं. ब्रिटेन के किंग राजनीतिक रूप से तटस्थ रहते हैं.

बतौर राष्ट्र प्रमुख किंग चार्ल्स III को सरकारी कामकाज़ और फ़ैसलों की जानकारी हर दिन लेदर के लाल बॉक्स में मिलेगी.

साथ ही महत्वपूर्ण बैठकों या दस्तावेज़ों की भी पहले से रिपोर्ट दी जाएगी, जिन पर उनके हस्ताक्षर ज़रूरी होंगे.

प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सामान्य तौर पर हर बुधवार को बकिंघम पैलेस में किंग चार्ल्स से मिलेंगे और उन्हें सरकार के कामकाज़ की जानकारी देंगे.

ये बैठकें पूरी तरह निजी होती हैं और इनमें क्या बात हुई, इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं रखा जाता.

किंग के पास कई संसदीय कार्य भी होते हैं.

किंग के पास क्या-क्या ज़िम्मेदारियाँ हैं?

किंग के सबसे अहम कामों में से एक है- ब्रिटेन में आम चुनावों के बाद सरकार की नियुक्ति.

चुनाव जीतने वाली पार्टी के नेता को किंग राजनिवास बकिंघम पैलेस बुलाते हैं और उन्हें सरकार बनाने के लिए औपचारिक आमंत्रण देते हैं.

ब्रिटेन में आम चुनावों से पहले सरकार को भंग करने का अधिकार भी किंग के पास होता है.

इसके साथ ही, किंग संसदीय सत्र की शुरुआत उद्घाटन समारोह में करते हैं और अपने भाषण में सरकार की योजनाएं तय करते हैं. ये भाषण ब्रिटिश संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में होता है.

किंग का काम संसद में पास हुए क़ानूनों को औपचारिक स्वीकृति देना भी है ताकि वो वैध माने जाएं. आखिरी बार साल 1708 में राजगद्दी ने कोई कानून पास करने से इनकार किया था.

कॉमनवेल्थ के प्रमुख

इसी तरह, हर साल नवंबर में वो रीमेंमबरेंस डे पर भी निर्देश देते हैं. इसे युद्ध विराम दिवस या वेटरंस डे भी कहा जाता है. ये वो दिन है जब कुछ कॉमनवेल्थ देशों में युद्धों के समय जान गंवाने वाले सैनिकों और आम लोगों को याद किया जाता है.

नए किंग कॉमनवेल्थ के भी नए प्रमुख हैं. कॉमनवेल्थ 56 स्वतंत्र देशों और 2.4 अरब लोगों का संघ है.

इसी के साथ किंग चार्ल्स III 14 कॉमनवेल्थ देशों के राष्ट्र प्रमुख भी बन गए हैं.

हालांकि 2021 में बारबाडोस के गणराज्य बनने के बाद, दूसरे कैरीबियाई कॉमनवेल्थ क्षेत्रों ने भी गणराज्य बनने की इच्छा जताई है.

क्वीन की जगह किंग

अब महारानी एलिज़ाबेथ II की तस्वीर हटाकर किंग चार्ल्स III की तस्वीरें, देश की पोस्टल सर्विस रॉयल मेल की नई मुहरों और बैंक ऑफ़ इंग्लैंड की ओर से जारी किए जाने वाले नोटों पर लगाई जाएंगी.

इसके अलावा, ब्रिटिश पासपोर्ट में लिखा जाने वाला शब्द बदलकर ‘हिज़ मैजेस्टी’ कर दिया जाएगा.

नए किंग के साथ देश के राष्ट्रगान में भी बदलाव हुआ और अब इसमें ‘गॉड सेव द क्वीन’ की जगह ‘गॉड सेव द किंग’ जोड़ा गया.

सम्राट कहां रहते हैं?

किंग चार्ल्स III और क्वीन कॉन्सॉर्ट के लंदन के बीचोंबीच स्थित बकिंघम पैलेस में जाने की उम्मीद है.

इसके पहले वो बकिंघम पैलेस के पास लंदन के क्लेरेंस हाउस और पश्चिमी इंग्लैंड के हाईग्रोव हाउस में रहे हैं.

प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी प्रिंसेज़ कैथरीन हाल ही में पश्चिमी लंदन के केन्सिंग्टन पैलेस से राजधानी के बाहरी इलाक़े विंडसर के एडीलेड कॉटेज में चले गए हैं.

प्रिंस हैरी और मेग़न मर्केल अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में रहते हैं.

राजशाही को ब्रिटेन में कितना पसंद किया जाता है?

बीते साल के मध्य में कराए गए यू-गव (YouGov) के एक सर्वेक्षण के अनुसार महारानी की प्लैटिनम जुबली के मौके पर 62 फ़ीसदी ब्रिटिश नागरिकों का मानना था कि राजशाही बरकरार रहनी चाहिए. जबकि 22 फ़ीसदी लोगों का कहना था कि राष्ट्र प्रमुख का चुनाव होना चाहिए.

इप्सॉस मॉरी के साल 2021 के दो सर्वेक्षणों में भी लगभग यही परिणाम आए. सर्वे में हिस्सा लेने वाले हर पांच में से केवल एक शख़्स का मानना था कि राजशाही हटाना ब्रिटेन के लिए अच्छा होगा.

हालांकि YouGov के सर्वे परिणाम दिखाते हैं बीते दशक में राजशाही के समर्थन में कमी आई है. साल 2012 में समर्थन का जो आंकड़ा 75% था वो 2022 में 62 फ़ीसदी हो गया.

वैसे तो वरिष्ठ लोगों के बीच राजशाही के समर्थन को लेकर बहुत दिखा लेकिन युवाओं का डेटा थोड़ा अलग दिखा.

2011 में YouGov ने पहली बार इस पर पोल करना शुरू किया था. तब 18 से 24 साल के बीच के 59% युवा चाहते थे कि राजशाही चलनी चाहिए लेकिन 2022 में कुल 33% युवाओं ने ही राजशाही का समर्थन किया.

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