भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए क्रिकेट खेलने वाले ये तीन खिलाड़ी

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DMT : पाकिस्तान  : (05 सितंबर 2023) : –

वह 16 अक्टूबर 1952 का दिन था. दिल्ली के फ़िरोज़ शाह कोटला मैदान में क्रिकेट की दुनिया में उगते सूरज एक ऐतिहासिक पल लेकर आया था.

इस दिन पाकिस्तान अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहा था. उसके सामने भारतीय टीम थी. इस मैच से जुड़ा एक और दिलचस्प तथ्य है.

ये बात है, तीन खिलाड़ियों की जिनके नाम हैं अब्दुल हफीज़ कारदार, अमीर इलाही और गुल मोहम्मद. ये तीन ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला.

भारत पाकिस्तान के इस पहले मैच में भी ये तीन खिलाड़ी मैदान में थे. गुल मोहम्मद भारत के लिए खेल रहे थे जबकि अब्दुल हफीज़ कारदार और अमीर इलाही पाकिस्तान के लिए खेल रहे थे.

अब्दुल हफीज़ कारदार को पाकिस्तानी क्रिकेट के शुरुआती सालों में देश को नई राह दिखाने वाला क्रिकेटर माना जाता है. कारदार ने पाकिस्तान के लिए अपने पहले मैच में कप्तान के रूप में टीम का नेतृत्व किया था.

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक़ अब्दुल हफीज़ कारदार को पाकिस्तानी क्रिकेट का पितामह कहा जाता है.

कारदार ने 1952 से 1958 तक पाकिस्तान के लिए कुल 23 टेस्ट मैच खेले. इन सभी मैचों में कारदार ने पाकिस्तान की कप्तानी की.

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक़, अब्दुल हफीज़ कारदार का जन्म 1925 में लाहौर में हुआ था. ईएसपीएनक्रिकइंफो के मुताबिक़, कारदार की जन्मतिथि 17 जनवरी 1925 है.

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक़ कारदार का क्रिकेट कौशल लाहौर में उनके इस्लामिया कॉलेज के दिनों से ही दिखाई देने लगा था. इस्लामिया कॉलेज उस समय का एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान था.

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक़, 1947 में भारत विभाजन से पहले लाहौर का इस्लामिया कॉलेज पंजाब के टेस्ट क्रिकेटरों की नर्सरी था.

कारदार ने भी अलग-अलग टीमों के लिए क्रिकेट खेला. उन्होंने 174 प्रथम श्रेणी मैचों में आठ शतक सहित 6 हज़ार 832 रन बनाए. इसके अलावा उन्होंने गेंदबाज़ के तौर पर 344 विकेट लिए.

अब्दुल हफीज़ कारदार ने भारत के लिए अपना पहला मैच 1946 में खेला था. उन्हें इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में चुना गया था. उन्होंने भारत के लिए तीन टेस्ट मैच खेले. हफीज़ ने इन मैचों में 80 रन बनाए.

ईएसपीएनक्रिकइंफो के मुताबिक़, इंग्लैंड दौरे तक वह अब्दुल हफीज़ के नाम से खेलते थे. इस दौरे के बाद उन्होंने अपने नाम के साथ पारिवारिक सरनेम ‘कारदार’ जोड़ लिया.

इंग्लैंड दौरे के बाद कारदार इंग्लैंड में ही रहे. वहाँ उन्होंने वारविकशॉ काउंटी के लिए अच्छा क्रिकेट खेला.

कारदार बाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे. वे विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे. वह किसी भी गेंदबाज़ और किसी भी मैच की स्थिति में क्रीज से बाहर निकलकर गेंदबाज़ के सिर के ऊपर से शॉट मारने के लिए जाने जाते थे.

जब वे इंग्लैंड से लौटे, तब तक पाकिस्तान एक देश बन चुका था. कारदार को इस नए देश की क्रिकेट टीम के पहले कप्तान की ज़िम्मेदारी मिली.

कारदार की कप्तानी में ही पाकिस्तान को 1951 में टेस्ट मैच खेलने वाले देश के रूप में पहचान मिली. एक साल बाद, अपने पहले भारत दौरे पर कारदार की कप्तानी में पाकिस्तान ने अपने दूसरे टेस्ट मैच में भारत को हराया था.

कारदार की कप्तानी में ही पाकिस्तान ने उस समय दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर पांच टेस्ट टीमों के ख़िलाफ़ जीत दर्ज की थी. ये जीतें पहली सिरिज़ में भी दर्ज की गईं.

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी कारदार खेल से जुड़े रहे. उन्होंने 1972-1977 तक पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (तब पाकिस्तान क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) के अध्यक्ष के रूप में काम किया.

कारदार के कार्यकाल में पाकिस्तान क्रिकेट को आधुनिक बनाने की दिशा में काफ़ी काम किया गया.

कारदार ने राजनीति में भी हाथ आजमाया. उन्हें 1970 में पंजाब विधानसभा का सदस्य चुना गया. वो स्विट्जरलैंड में पाकिस्तान का राजदूत भी रहे.

यह आठ मार्च 1947 का दिन था. वडोदरा में होल्कर और बड़ौदा के बीच रणजी ट्रॉफी का फ़ाइनल मैच चल रहा था. बड़ौदा का स्कोर तीन विकेट के नुकसान पर 91 रन था.

गुल मोहम्मद मैदान पर उतरे. उन्होंने भारत के महान पूर्व बल्लेबाज विजय हजारे के साथ चौथे विकेट के लिए 577 रनों की शानदार साझेदारी की. गुल मोहम्मद ने 8 घंटे 53 मिनट तक बल्लेबाजी की और 319 रन बनाए.

15 अक्टूबर 1921 को लाहौर में जन्मा यह पंजाबी क्रिकेटर भी उन ख़ास अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों में से एक है, जिन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है.

गुल मोहम्मद ने भारत के लिए आठ मैच और पाकिस्तान के लिए एक टेस्ट मैच खेला है.

गुल मोहम्मद बाएं हाथ के बल्लेबाज़ और बाएं हाथ के गेंदबाज़ थे. इसके साथ ही वह अपनी फील्डिंग के लिए भी जाने जाते थे. गुल मुहम्मद के बारे में कहा जाता है कि उनके हाथ से मछली भी आसानी से नहीं छूटती थी.

अब्दुल हफ़ीज़ कारदार की तरह, गुल मुहम्मद इस्लामिया कॉलेज, लाहौर की देन थे.

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक़, साल 1938-39 में गुल मोहम्मद ने 17 साल की उम्र में अपना पहला रणजी मैच खेला था.

गुल मोहम्मद ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट (घरेलू सीज़न) में शानदार प्रदर्शन किया. कई सालों तक लगातार अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें 1946 में भारत के इंग्लैंड दौरे के लिए चुना गया. पहले टेस्ट मैच में वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके.

भारत की आज़ादी के बाद, वह 1947-48 में पूर्व भारतीय क्रिकेटर लाला अमरनाथ के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारतीय टीम का हिस्सा थे.

इस दौरे पर भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा. गुल मोहम्मद ने भी पाँच टेस्ट मैचों में केवल 130 रन बनाए, लेकिन उन्होंने अपनी अच्छी फील्डिंग से सभी को चौंका दिया.

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पहले दो मैचों में उन्हें भारतीय टीम में भी शामिल किया गया था. इसके बाद वह पाकिस्तान जाकर बस गए.

साल 1956-57 में उन्हें पाकिस्तान टीम के लिए चुना गया. कराची में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेले गए मैच में उन्होंने दोनों पारियों में 39 रन बनाए. इसके बाद उन्हें काउंटी क्रिकेट में काफ़ी सफलता मिली.

साल 1992 में, लंबी बीमारी के बाद गुल मोहम्मद की लाहौर में मौत हो गई.

लाहौर में पैदा हुए आमिर इलाही से दो ख़ास बातें जुड़ी हैं. सबसे पहले, वह उन कुछ खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला.

इसके साथ ही आमिर दुनिया के 20 सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ियों में भी शामिल थे.

अमीर इलाही का जन्म एक सितंबर 1908 को हुआ था.

विजडन क्रिकेटर के अनुसार, आमिर इलाही एक बार भारत के लिए खेल चुके हैं और वह पांच बार पाकिस्तान टीम के लिए खेल चुके हैं.

उन्होंने 1952-53 में भारत में पाकिस्तान के लिए पाँच टेस्ट मैच भी खेले.

आमिर इलाही ने मीडियम पेसर के रूप में खेलना शुरू किया और बाद में लेग ब्रेक गेंदबाज़ बन गए.

टेस्ट मैचों में तो वह कुछ ख़ास नहीं कर सके लेकिन रणजी ट्रॉफी में उनका रिकॉर्ड शानदार रहा. उन्होंने रणजी ट्रॉफी में 24.72 की औसत से 194 विकेट लिए.

साल 1946-47 में पाकिस्तानी नागरिक बनने से ठीक पहले, उनके शानदार प्रदर्शन ने बड़ौदा को रणजी ट्रॉफी जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

उनकी एक बल्लेबाजी पारी काफ़ी याद की जाती है.

आमिर ने 1946-47 में पाकिस्तान के लिए खेलते हुए मद्रास (चेन्नई) में भारत के ख़िलाफ़ 10वें विकेट के लिए जुल्फिकार अहमद के साथ 104 रन की साझेदारी की थी. इस मैच में उन्होंने 47 रनों की पारी खेलकर सभी को चौंका दिया.

आमिर इलाही का दिसंबर 1980 को 72 वर्ष की आयु में कराची में निधन हो गया.

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