DMT : यूक्रेन : (05 सितंबर 2023) : –
यूक्रेन के जनरलों ने दावा किया है कि उन्होंने दक्षिण में रूस की अभेद्य कही जाने वाली फ्रंटलाइन को भेद दिया है.
उनका कहना है कि इस साल गर्मियों में शुरू हुआ जवाबी हमला रफ़्तार पकड़ रहा है.
इस साल जून के बाद से यूक्रेन की बढ़त बहुत मामूली रह गई थी, लेकिन इस समय वो निर्णायक मोड़ पर हैं.
यूक्रेन के रक्षा मंत्री के सलाहकार यूरी शक से जब मैंने ये पूछा कि क्या वाकई आप लोगों ने पहली पंक्ति को भेद दिया है.
दक्षिण में यूक्रेन के एक प्रमुख जनरल ओलेक्संडर ट्रानाविस्की ने ब्रितानी अखबार ‘ऑब्ज़र्वर’ को बताया, “हम अब पहली और दूसरी रक्षा पंक्ति के बीच में हैं.”
जनरल ट्रानाविस्की के ये शब्द अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी के बयान से मिलते जुलते हैं. किर्बी ने शुक्रवार को वॉशिंगटन में पत्रकारों से कहा था कि यूक्रेनी सेना ने दूसरी रक्षा पंक्ति के पास थोड़ी सफलता हासिल की है.
हाल के हफ्तों में यूक्रेन के जवाबी आक्रमण का मोर्चा रोबोटीन के एक छोटे से गांव के आसपास केंद्रित रहा है. ये इलाका जापोरिजिया शहर के करीब 56 किमी दक्षिण-पूर्व में है.
इस गांव के पास यूक्रेनी सुरक्षा बलों ने यूक्रेन का नीले और पीले रंग का झंडा फहराया था. अब वो बड़ी पैदल सेना और बख्तरबंद इकाइयों को रूसी गोलाबारी की चपेट में आए बिना गुजारने के लिए इस दायरे को और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
अगर उनको इसमें सफलता मिल जाती है तो, इस बात की संभावना है कि यूक्रेन का आक्रमण और रफ्तार पकड़ सकता है, क्योंकि वो दूसरी और तीसरी रक्षा पंक्ति के करीब पहुंच रहे हैं, जो शायद पहली रक्षा पंक्ति की तरह मजबूत न हो.
रोबोटाइन के उत्तर में वर्बोव के बड़े गांव के किनारे लड़ाई की खबर है, लेकिन यह पहले की चीजों की तरह धीमा और काफी श्रमसाध्य है. नक्शे पर देखने पर रूसी रक्षात्मक रेखाओं का एक जाल दिखाई देता है.
ये बारूदी सुरंगों, टैंकों और खाइयों से भरा हुआ है. इनमें से कुछ वर्बोव की ओर हैं.
बिना वायु सेना के कवर और कमज़ोर होती रूसी तोपखाने की गोलाबारी के बीच यूक्रेनी सेना की छोटी यूनिट्स रास्ता साफ कर बड़े हमले के लिए ज़मीन तैयार कर रही हैं.
यूरी शक कहते हैं कि इस तरह से रास्ता खुलना निश्चित रूप से हमारी सेनाओं के बढ़त बनाने में मदद करता है.
यूक्रेन के दावों के महत्व का अनुमान लगा पाना मुश्किल काम है. इन दावों का विवरण मांगे जाने पर यूक्रेनी अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं. वे संवेदनशील जानकारियां देने को लेकर बहुत अनिच्छुक हैं.
शनिवार को संपर्क किए जाने पर यूक्रेन के 46वें एयर असॉल्ट ब्रिगेड ने बीबीसी से कहा कि रूस की पहली रक्षा पंक्ति के पास लड़ाई जारी थी. लेकिन कोई भी अभी पहली पंक्ति से आगे जा पाने में कामयाब नहीं हो पाया है.
यह सुनने में जितना आश्चर्यजनक लगता है, यह उससे कम आश्चर्यजनक हो सकता है. वहां बहुत सी ईकाइयां काम कर रही हैं. इनमें से हरेक यूनिट अपने इलाके में दिया गया काम कर रही है. यह भी ज़रूरी नहीं है कि उन्हें यह पता हो कि दूसरे मोर्चे पर क्या हो रहा है.
इन इकाइयों में से एक स्वयंसेवी बटालियन और उसके कमांडर को उनके कॉल साइन ‘स्काला’ के नाम से जाना जाता है. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया था कि उनके जवानों ने 26 अगस्त को ही रूस की पहली रक्षा पंक्ति को तोड़ दिया था. रविवार को उन्होंने बताया कि उनके जवान अभी भी आगे बढ़ रहे हैं.
इस कमांडर ने अधिक जानकारी दिए बिना बताया कि वास्तव में हम समुद्र के जापोरीजिया इलाके में आगे बढ़ रहे हैं. वो कहते हैं, “मैं जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता, लेकिन हम और जनरल स्टाफ़ तेज़ी से जीत हासिल करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.”
यूक्रेन को हाल में मिली बढ़त और उसके दावों का सटीक अनुमान लगा पाना कठिन काम है, लेकिन एक बात साफ है कि रूस इसे लेकर चिंतित है.
उसने अभी हाल ही में रोबोटाइन और टोकमक में प्रमुख सड़क और रेलवे लाइनों की सुरक्षा के लिए दूसरे मोर्चों से अपने विशेष सैनिकों को भेजा है.
वॉशिंगटन स्थित स्टडी ऑफ बार (आईएसडब्लू) के मुताबिक़, जून के बाद से उसने ऐसा तीसरी बार किया है.
आईएसडब्लू ने एक सितंबर को किए अपने एक आकलन में कहा है कि हाल के हफ्तों में हुई यह दूसरी तैनाती बताती है कि अपने डिफेंस के स्थायित्व को लेकर रूस चिंतित है.
यूक्रेनी मामलों के विशेषज्ञों का दावा है कि ये यूक्रेन की योजना का हिस्सा है. वो मोर्चों पर तैनात यूनिट्स को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए रूस को मजबूर कर उन्हें परेशान करना चाहते हैं.
यूक्रेनियन सिक्योरिटी एंड कॉरपोरेशन सेंटर के सेरही कुजान ने कहा, “हम रूस के रिज़र्व सैनिकों को युद्ध में शामिल कर उन्हें थकाना चाहते हैं. यूक्रेनियन सिक्योरिटी एंड कॉरपोरेशन सेंटर का यूक्रेनी सेना के साथ घनिष्ठ संबंध है.”
उनका कहना है कि अगला काम रूस की कमजोरी के किसी भी संकेत का फायदा उठाना है.
कुजन कहते हैं कि जून के बाद शुरू हुई आक्रामकता की धीमी प्रगति के बाद भी इसका मूल उद्देश्य नहीं बदला है, वह है दक्षिण पर नियंत्रण हासिल करना. सर्दी आने तक यह कैसा दिखेगा. अभी भी इसका जवाब नहीं है.
आदर्श रूप से यूक्रेन यह चाहेगा कि उसकी सेनाएं तमाम बाधाएं पार करते हुए अजोव सागर तक पहुंचे.
वो कहते है कि अगर ऐसा नहीं भी होता है तो यूक्रेन उन सप्लाई लाइनों को काटने के लिए प्रतिबद्ध है, जिनके जरिए रूसी सेना निप्रो नदी और क्रीमिया के बीच, खेरसॉन क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में अपनी उपस्थिति बनाए रखती हैं. इनमें टोकमक से गुजरने वाली रेलवे लाइन भी शामिल है. यह पहले से ही हिमर्स मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर जैसे यूक्रेन के लंबी दूरी के हथियारों की वजह से असुरक्षित बनी हुई है.
वह कहते हैं, “हमें ज़मीनी रास्ते पर नियंत्रण बनाए रखना होगा, इसका मतलब यह हुआ कि सड़क को निशाना बनाने में सक्षम यूक्रेनी बंदूकें काफी करीब हों.”
यह अभी भी बहुत दूर का लक्ष्य है.
एम-14 अभी भी 80 किमी से अधिक दूर है. वहां अभी भी कई रूसी रक्षा पंक्ति हैं. इस रास्ते के हर कदम पर यूक्रेन के सुरक्षा बलों पर जमीन और हवाई हमला होगा.
मानचित्र पर एक और नज़र डालने से यह भी पता चलता है कि जून के बाद से यूक्रेन की बढ़त बहुत कम रह गई है.