मध्य प्रदेश: स्कूल में हिन्दू लड़कियों की हिजाब वाली तस्वीर पर विवाद के बाद अब क्या हुआ?

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DMT : मध्य प्रदेश : (15 जून 2023) : –

मध्य प्रदेश के दमोह में धर्मांतरण के आरोपों में घिरे गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल के अंदर बन रही एक इमारत की पहली मंज़िल को वहां की नगरपालिका ने तोड़ना शुरू कर दिया है.

प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि पहली मंज़िल पर हो रहा ये निर्माण बग़ैर अनुमति के किया जा रहा था.

उनका कहना है कि स्कूल को इस संबंध में नोटिस भेजकर तीन दिनों की मोहलत दी गई थी.

दमोह नगरपालिका के अधिकारी भैय्या लाल सिंह ने पत्रकारों को बताया कि स्कूल प्रबंधन ने नोटिस के जवाब में यह स्वीकार किया है कि पहली मंज़िल पर किए जा रहे निर्माण की अनुमति नहीं ली गई थी.

भैय्या लाल सिंह ने बताया कि स्कूल की ज़मीन पर मालिकाना हक़ रश्क-ए-जहां नाम की महिला का है, लिहाज़ा नोटिस भी उन्हीं के नाम से जारी किया गया है.

उन्होंने ये भी बताया कि स्कूल प्रबंधन से ये भी जानकारी मांगी गई है कि वहां मौजूद अन्य भवनों का निर्माण कब किया गया और क्या उनके निर्माण के लिए औपचारिक अनुमति ली गई थी या नहीं?

स्कूल के अंदर ही अन्य इमारतें चौथी मंज़िल तक बनी हुई हैं और उनमें ही कक्षाएं चलती हैं.

अब तक की कार्रवाई

जब प्रशासन ‘अवैध निर्माण’ को तोड़ रहा था, तब इस स्कूल में पढ़ने वाले कई बच्चों के अभिभावकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और नारे भी लगाए.

इसे देखते हुए आसपास के इलाक़े में पुलिस की भारी तैनाती की गई. स्कूल फ़िलहाल बंद है.

अभिभावक स्कूल फिर से खोले जाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि ये इस इलाक़े का एकमात्र इंग्लिश मीडियम स्कूल है और बीते 12 सालों से चल रहा है.

साथ ही उन बच्चों का भविष्य भी अधर में लटक गया है, जो इस स्कूल में 10वीं और 12वीं में पढ़ाई कर रहे हैं.

दमोह पुलिस ने इस मामले में दो दिन पहले ही स्कूल की प्रिंसिपल और अन्य दो अधिकारियों को गिरफ़्तार किया है.

गिरफ़्तार लोगों में स्कूल प्रिंसिपल आफ़सा शेख़ के अलावा एक अन्य शिक्षक अनस अतहर और वहां के चौकीदार रुस्तम शामिल हैं.

पुलिस का कहना है कि प्राथमिकी में कुल 10 लोगों अभियुक्त बनाया गया है, जो स्कूल का संचालन करने वाले प्रबंध समिति के ट्रस्टी हैं.

इनमें हिंदू, मुसलमान और जैन धर्म को मानने वाले शामिल हैं. इन ट्रस्टी में से एक शैलेंद्र जैन को पकड़ने के लिए पुलिस ने उनके घर छापा मारा.

जैन यहां के जाने-माने व्यवसायी हैं. स्थायीय जैन समुदाय के लोगों ने पुलिस पर ज़्यादती का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके (जैन के) बेटे और भतीजे को हिरासत में लिया गया है जो ग़लत है.

गिरफ़्तार किए गए तीन लोगों को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया गया, जहां उनकी ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी गई.

वकील का दावा और छात्रों का भविष्य

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रजनी प्रकाश बोतम की अदालत में स्कूल प्रबंधन के वकील अनुनय श्रीवास्तव ने दलील दी कि छठी क्लास के बाद स्कलू के छात्रों के लिए जो यूनिफ़ॉर्म तय की गई थी, उसमें सिर पर स्कार्फ़ पहनने का प्रावधान किया गया था.

बाद में अदालत के बाहर पत्रकारों के सवाल पर स्कूल प्रबंधन के वकील अनुनय श्रीवास्तव ने कहा कि ‘सिर पर स्कार्फ़’ पहनने का प्रावधान स्कूल प्रबंधन ने अनिवार्य नहीं किया था, उसे स्वैच्छिक ही रहने दिया गया था.

उन्होंने ये भी कहा कि अगर स्कूल किसी भी देश विरोधी गतिविधि में लिप्त पाया गया तो वो अपना वक़ालतनामा वापस ले लेंगे.

उनका कहना था कि वो ये मुक़दमा सिर्फ़ स्कूल के बच्चों के भविष्य को देखते हुए लड़ रहे हैं.

गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल में कथित ‘धर्मांतरण’ को लेकर छिड़े विवाद के बीच राज्य सरकार ने अभिभावकों को ये आश्वासन दिया कि यहां पढ़ने वाले क़रीब 1,200 छात्रों का नामांकन दूसरे स्कूलों में कराया जाएगा.

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने क्या कहा?

राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पत्रकारों को बताया कि स्कूल पर लगे आरोपों के बाद धारा 295 (ए), 506 बी और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई और जांच जारी है.

उन्होंने ये भी बताया कि स्कूल संचालन करने वाली गंगा जमुना वेलफ़ेयर सोसाइटी की सभी गतिविधियां भी जांच के दायरे में लाई गई हैं.

साथ ही उन्होंने ये भी कहा, “अभी पुलिस जांच शुरू हुई है और जैसे-जैसे तथ्य सामने आएंगे और भी धाराएं जोड़ी जा सकती हैं.”

गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सवाल उठाया, “क्या हिंदू बच्चियों को जबरन हिजाब पहनाना सही है? हिंदू बच्चों के हाथों में कलावा नहीं बांधने देना क्या प्रबंधन का भोलापन है. धार्मिक भावनाएं आहत करने और धर्म परिवर्तन का कोई भी प्रयास राज्य में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जांच में पहली नज़र में ये आया है कि स्कूल में बच्चियों को जबरन हिजाब पहनाया जाता था. जहां तक स्कूल के अतिक्रमण का सवाल है, तो इस पर बीते कल भी कार्रवाई की गई थी आज भी की जा रही है.”

स्कूल की मान्यता निलंबित पर नोटिस में धर्मांतरण का ज़िक़्र नहीं

राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड के संबंध में गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी है.

हालांकि स्कूल को इस बाबत जो नोटिस दिया गया है उसमें धर्मांतरण या जबरन हिजाब पहनाने का कोई ज़िक़्र नहीं किया गया है. निलंबन के अन्य प्रशासनिक कारण बताए गए हैं.

दमोह ज़िला मजिस्ट्रेट मयंक अग्रवाल ने इस मामले में पत्रकारों से कहा था कि ज़िला स्तर पर अलग से एक विशेष जांच दल यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठित की गई है.

इस टीम में डिप्टी कलेक्टर आरएल बागरी और महिला सेल की पुलिस उपाधीक्षक भावना दांगी को शामिल किया गया है.

क्या है मामला?

मध्य प्रदेश में 10वीं की बोर्ड परीक्षा के परिणामों के आने के बाद स्कूल ने एक पोस्टर लगाया, जिसमें बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले छात्रों की तस्वीर लगाई गई थी.

इस पोस्टर में दावा किया गया था कि स्कूल के 98.5 प्रशिशत छात्रों ने बोर्ड की परीक्षा पास की है.

लेकिन विवाद इस बात पर छिड़ा कि इस पोस्टर में कुछ हिंदू छात्राओं की नकाब पहनी हुई तस्वीरें भी मौजूद थीं.

कई संगठनों ने इसका विरोध किया और स्कूल प्रबंधन पर ‘जबरन धर्मांतरण’ के आरोप लगने लगे.

भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं समेत कुछ संगठनों का आरोप था कि स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों से ‘कलमे’ पढ़वाए जा रहे हैं और हिंदू लड़कियों को ‘जबरन’ हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

इसे लेकर बयानबाज़ी तेज़ हो गई है और राज्य सरकार ने ज़िला प्रशासन ने मामले की रिपोर्ट मांगी.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने आरोप लगाया कि दमोह के गंगा जमुना स्कूल में ‘हिंदू छात्राओं पर दबाव डालकर’ उन्हें हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा था.

उनका कहना था, “स्कूल की आड़ में लव जिहाद और जिहादी साम्राज्य खड़ा करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ धर्मांतरण क़ानून के तहत कार्रवाई हो और इनकी प्रॉपर्टी की जांच हो.”

ज़िलाधिकारी से मिली थी क्लीन चिट

30 मई को इस विवाद पर ट्वीट करते हुए दमोह के कलक्टर मयंक अग्रवाल ने लिखा था, “गंगा जमुना स्कूल के एक पोस्टर को लेकर कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही जानकारी को लेकर थाना प्रभारी कोतवाली और जिला शिक्षा अधिकारी से जांच कराने पर तथ्य ग़लत पाए गए. जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.”

इसी ट्वीट के जवाब में दमोह के पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह ने लिखा, “जांच पर आरोप सिद्ध नहीं हुए.”

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