स्वीडन में ईद पर क़ुरान जलाने वाला कौन है? सऊदी अरब, तुर्की समेत कई देश हुए सख़्त

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DMT : स्वीडन  : (29 जून 2023) : –

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की सेंट्रल मस्जिद के बाहर बुधवार को एक व्यक्ति ने क़ुरान की एक प्रति को फाड़ा और फिर उसे जला दिया.

क़ुरान जलाने की घटना को लेकर तुर्की और सऊदी अरब ने कड़ी आपत्ति जताई है.

कहा जा रहा है कि तुर्की स्वीडन को नेटो में शामिल करने का पहले से ही विरोध कर रहा था और क़ुरान जलाने की घटना ने उसे और नाराज़ कर दिया है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, स्वीडिश पुलिस ने इस घटना के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन की इजाज़त दे दी है. संयोग से क़ुरान जलाने की घटना तब हुई है, जब दुनिया भर के मुसलमान ईद-उल-अज़हा मना रहे हैं.

स्वीडन में इस्लाम विरोधी और कुर्दिश अधिकारों के समर्थन में कई विरोध प्रदर्शन के कारण तुर्की पहले से ही ख़फ़ा था. स्वीडन को नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो में शामिल होने के लिए तुर्की का समर्थन ज़रूरी है.

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से स्वीडन नेटो में शामिल होने की कोशिश कर रहा है लेकिन तुर्की इसके लिए तैयार नहीं है.

तुर्की और अमेरिका ने क्या कहा?

तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान ने ट्वीट कर क़ुरान जलाने की घटना की निंदा की है.

उन्होंने निंदा करते हुए लिखा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस्लाम विरोधी प्रदर्शन अस्वीकार्य है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने भी डेली प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा है कि धार्मिक ग्रंथों को जलाना दुखद है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.

स्वीडन में क़ुरान जलाए जाने के विरोध में मोरक्को ने स्वीडन से अपने राजदूत को अनिश्चितकाल के लिए वापस बुला लिया है.

मोरक्को की सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया है कि वहाँ के विदेश मंत्रालय ने मोरक्को में मौजूद स्वीडन के प्रतिनिधि को भी तलब किया है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, दो प्रदर्शनकारियों में से एक जब क़ुरान के पन्ने फाड़ जूते पोंछ रहा था और बाद में आग के हवाले किया तो क़रीब 200 लोग देख रहे थे. वहां पर मौजूद कुछ लोग विरोध में अल्लाहू अकबर का नारा लगा रहे थे. एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. इसने एक पत्थर फेंकने की कोशिश की थी.

सऊदी अरब ने क्या कहा?

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है.

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ”ऐसी नफ़रतभरी और लगातार की जाने वाली हरकतें स्वीकार नहीं की जा सकती. ये साफ़ है कि ये नफ़रत, नस्लभेद को बढ़ाने वाला है. ये उन अंतराराष्ट्रीय प्रयासों से विपरीत है, जिसमें सहिष्णुता, कट्टरवाद को नकारने और एक-दूसरे के प्रति सम्मान को बढ़ाने की कोशिश हो रही हैं.”

मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने भी इस घटना की निंदा की है.

मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने कहा, ”हक़ीक़त ये है कि ये जघन्य अपराध पुलिस के सरंक्षण में हुआ है.”

क़ुरान फाड़ने वाला कौन?

पुलिस ने जिस व्यक्ति को गिरफ़्तार किया है, उनका नाम सलवान मोमिका बताया जा रहा है.

सलवान की उम्र 37 साल है और ख़बरों की मानें तो वो कई साल पहले इराक़ से भागकर स्वीडन आ गए थे.

सलवान ने कहा, ”मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अहमियत पर ध्यान दिलवाना चाहता था. ये लोकतंत्र है और अगर वो ये कहेंगे कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं तो ये ख़तरे में है.”

प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्शन ने कहा कि मोमिका का प्रदर्शन क़ानूनी तौर पर सही है पर ये अनुचित था. ये पुलिस के ऊपर था कि वो इसकी इजाज़त देती है या नहीं.

डॉयचे वेले की ख़बर के मुताबिक़, स्वीडन के सरकारी मीडिया ने बताया कि सलवान ने ऐसा करने के लिए इजाज़त भी मांगी थी और वो चाहते हैं कि क़ुरान को बैन कर दिया जाए.

जब ये घटना हुई तब वहां जो भीड़ मौजूद थी, उनमें से कुछ लोगों से अल-जज़ीरा ने बात की.

32 साल अवसान मेज़ोरी ने कहा, ”मुझे हमारे लिए नहीं बल्कि सलवान के लिए बुरा लग रहा है. मुस्लिम होने के नाते मेरे भीतर जो है, उसे कोई नहीं छीन सकता. मैं सलवान पर ध्यान भी नहीं देना चाहता.”

हुसम अल गोमाती राजनीति में सक्रिय है और मूल रूप से लीबिया से हैं.

वो बोले- ये हरकत उकसाने का एक तरीक़ा है ताकि हिंसा भड़के और मुसलमानों को हिंसक दिखाया जा सके.

स्वीडन में क़ुरान विरोधी प्रदर्शन के आवेदन

हाल ही में स्वीडिश पुलिस ने क़ुरान विरोधी प्रदर्शन के कई आवेदनों को ख़ारिज कर दिया था. अदालत ने भी कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया गया है.

स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्शन ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि वह इस घटना के बाद नेटो की सदस्यता हासिल करने की कोशिश पर क्या असर पड़ेगा, इस पर किसी भी अटकल को हवा नहीं देंगे.

स्टॉकहोम की मस्जिद के प्रतिनिधियों ने स्वीडिश पुलिस के उस फ़ैसले से नाराज़गी जताई है, जिसमें ईद-उल-अज़हा के दिन विरोध प्रदर्शन की इजाज़त दी गई थी.

मस्जिद के निदेशक इमाम मोहम्मद ख़ालफ़ी ने कहा, ”मस्जिद ने पुलिस से अनुरोध किया था कि कम से कम विरोध प्रदर्शन की जगह को बदल दिया जाए. ऐसा नियम के तहत किया जा सकता था लेकिन पुलिस ने नहीं किया.”

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