ललित झा कौन हैं जिन्हें संसद में हुए प्रदर्शन का ‘मास्टरमाइंड’ बताया जा रहा है

Hindi New Delhi

DMT : नई दिल्ली : (15 दिसंबर 2023) : –

संसद में बुधवार को चार प्रदर्शनकारियों ने सदन के अंदर और परिसर में ‘कलर्ड स्मोक’ छोड़ा और नारेबाज़ी की. इस घटना का ‘मास्टरमाइंड’ ललित झा को बताया जा रहा है.

ललित झा ने गुरुवार को खुद पुलिस स्टेशन जा कर सरेंडर किया. इस मामले में ये छठी गिरफ़्तारी है और कुल सात लोगों को पुलिस ने अभी तक गिरफ़्तार किया है. 

बुधवार को जब लोकसभा में शून्यकाल चल रहा था तब ही विज़िटर गैलरी से दो व्यक्ति, हॉल में कूद गए और एक छोटे कनस्तर से पीले रंग का धुआं छोड़ने लगे. इसके साथ ही उन्होंने नारे भी लगाए.

ये प्रदर्शनकारी स्पीकर की कुर्सी तक जाने का प्रयास कर रहे थे कि बीच में ही इन्हें सांसदों ने पकड़ लिया.

पुलिस का कहना है कि ललित झा स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह से प्रेरित थे.

ललित ‘नीलाक्ष आइच’ नाम की एक एनजीओ में जनरल सेक्रेटरी हैं.

जब बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने संसद परिसर में कलर्ड स्मोक छोड़ा तो ललित ने इसका वीडियो बनाया और इसे एनजीओ के संस्थापक को भेजते हुए मैसेज में बताया कि- “वे लोग सुरक्षित हैं.”

‘एक टीचर जो शांत स्वभाव का था’

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए ललित झा के पुराने पड़ोसियों ने बताया कि वो कोलकाता के बड़ा बाज़ार इलाके में स्थानीय बच्चों को पढ़ाया करते थे.

पड़ोसियों ने बताया, “झा शांत स्वभाव के इंसान थे और अपने काम से काम रखा करते थे. दो साल पहले ही उन्होंने यह इलाका छोड़ दिया था.”

उनके एक पड़ोसी ने कहा, “उन्हें हम टीचर की तरह जानते थे. कुछ साल पहले वो इस इलाके में आए थे, अकेले ही रहते थे, वो लोगों से बहुत कम बात करते थे.”

“कभी-कभार मेरी दुकान पर चाय पीने आते थे. वो बहुत लो प्रोफ़ाइल रहते थे. एक दिन अचानक वो यहां से चले गए और फिर कभी नहीं लौटे. ”

उनके एक अन्य पड़ोसी ने पीटीआई को बताया कि ललित झा के पिता उस इलाके में वॉचमैन की नौकरी करते थे. ललित दो साल पहले उत्तर 24 परगना के बागुईआटी चले गए थे.

जब पुलिस ने संसद की इमारत से चार लोगों को गिरफ़्तार किया तो ललित भी वहां मौजूद थे लेकिन वो किसी तरह बच निकले.

अख़बार ने पुलिस सूत्रों के हवाले से लिखा है, “रात करीब 11.30 बजे वह बस से राजस्थान के कुचामन सिटी पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात अपने साथी महेश से हुई.”

“महेश भी इस गतिविधि में शामिल होना चाहते थे, लेकिन उनकी मां के रोकने के बाद वह इसमें शामिल नहीं हो पाए. महेश ‘भगत सिंह फैन पेज’ नाम से एक फेसबुक ग्रुप के ज़रिए ललित झा और अन्य लोगों से जुड़े थे.”

“जांच से पता चला कि महेश, अपने चचेरे भाई कैलाश के साथ ललित झा को एक ढाबे पर ले गए और ढाबे के मालिक से एक कमरा लिया. ढाबा मालिक महेश को जानता था और उसने उन्हें एक कमरा दे दिया.”

“गुरुवार सुबह झा ने इन दोनों की मदद से फोन सहित टेक्निकल सबूत नष्ट कर दिए. इसके बाद महेश और ललित झा कैलाश को यह कहकर निकले कि आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं.”

पुलिस ने कैलाश को फोन नंबर के ज़रिए ट्रेस कर लिया और गुरुवार दोपहर को उसे हिरासत में ले लिया.

कैलाश ने पुलिस को बताया कि ललित झा और महेश ट्रेन से जयपुर के लिए रवाना हुए थे और वहां से दिल्ली के लिए बस पकड़ेंगे.

पुलिस ने इसके बाद कई जगह छापेमारी की, हालांकि कुछ देर बाद वे कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन पहुंचे और सरेंडर किया.

कोर्ट में क्या हुआ

इस मामले में पुलिस ने यूएपीए की धाराओं के तहत एफ़आईआर दर्ज की है.

गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने अभियुक्तों को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है.

अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने एनआईए मामलों के विशेष जज हरदीप कौर को बताया कि यह काम “एक सुनियोजित साज़िश” के तहत किया गया. अभियुक्त “आतंकवादी संगठनों” से भी जुड़े हो सकते हैं.

श्रीवास्तव ने कोर्ट से कहा- “पैम्फलेट देखें, उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. इसमें प्रधानमंत्री की तस्वीर है जिसे ‘लापता व्यक्ति’ के रूप में दिखाया गया है. उन्होंने ‘ढूंढने के लिए’ स्विस बैंक से इनाम देने की घोषणा की है. इन लोगों न प्रधानमंत्री को ‘घोषित अपराधी’ के रूप में दिखाने की कोशिश की है.”

इस मामले में अब तक क्या क्या हुआ

बुधवार को भारतीय संसद में उस समय अफ़रा-तफ़री फैल गई, जब भवन के अंदर और बाहर, प्रदर्शनकारियों ने पीले रंग का धुआं फैलाते हुए नारेबाज़ी कर दी.

इस मामले में पुलिस ने गुरुवार तक सात लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है. इन पर केस सख़्त आतंकवाद रोधी क़ानून यूएपीए के तहत दर्ज किया गया है.

गिरफ़्तार हुए कुछ लोगों के परिवार वालों का कहना है कि वे बेरोज़गारी और देश के अन्य संकटों से परेशान थे और इसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे.

गृह मंत्रालय ने भी घटना की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी अपनी रिपोर्ट में यह भी बताएगी कि संसद की सुरक्षा बढ़ाने के लिए और क्या इंतज़ाम किए जाने चाहिए.

गुरुवार को संसद में गृहमंत्री अमित शाह से जवाब मांगने और इस लेकर हंगामा करने के आरोप में 14 सांसदों को निलंबित कर दिया गया.

लोकसभा से मनिकम टैगोर, कनिमोझी, पार नटराजन, वाक सारिकंदन, बेनी बहनान, के सुब्रमण्यम, एस वेंकटेश और मोहम्मद जावेद सहित कुल 13 सांसदों को सस्पेंड किया गया.

राज्यसभा से टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को पूरे शीत सत्र से निलंबित कर दिया है.

सुरक्षा में चूक की इस हटना को लेकर लोकसभा सचिवालय ने भी कार्रवाई की है.

निलंबित हुए सांसदों में नौ कांग्रेस, दो सीपीएम, एक डीएमके, एक सीपीआई और एक टीएमसी से हैं.

दर्शक दीर्घा से छलांग लगाने वालों में से एक सागर शर्मा लखनऊ के रहने वाले हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सागर के परिजनों ने बताया कि वह कुछ दिन पहले ‘दिल्ली में विरोध प्रदर्शन’ में भाग लेने के लिए घर से निकले थे.

पुलिस के मुताबिक, सागर का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले का रहने वाला है. पुलिस ने परिजनों के हवाले से बताया कि सागर हाल ही में बेंगलुरु से लखनऊ लौटा था.

सागर की बहन ने कहा, “मेरा भाई ई-रिक्शा चलाता था. वह पहले बेंगलुरु में काम करता था.’

सागर की मां रानी ने कहा, ‘‘वह दो दिन पहले घर से निकला था. उसने कहा था कि वह कुछ काम के लिए दोस्तों के साथ दिल्ली जा रहा है.”

दर्शक दीर्घा से लोकसभा के फ्लोर पर कूदने वाले दूसरे शख़्स का नाम मनोरंजन डी है. वह बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के निर्वाचन क्षेत्र मैसूर से हैं.

कूदने वाले लोगों में से एक प्रदर्शनकारी के पास से जो संसद में प्रवेश का पास मिला है, वह बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा की सिफ़ारिश पर जारी हुआ था.

बीबीसी के सहयोगी पत्रकार इमरान क़ुरैशी के मुताबिक़ मनोरंजन के पिता देवराजू गौड़ा ने मैसूर में अपने बेटे की ‘हरकत’ को ‘कड़ी निंदा’ के लायक बताया है.

देवराजू गौड़ा ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि वे किसान परिवार से आते हैं और उनके बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उन्होंने कहा कि मनोरंजन हासन ज़िले में स्थित अपने गांव में अपनी ज़मीन पर खेती करता था.

देवराजू गौड़ा ने कहा, “उसने विवेकानंद को खूब पढ़ा है. वो समाज के लिए, वंचितों के लिए सिर्फ़ अच्छा करना चाहता था. “

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद मनोरंजन मुर्गियां, भेड़ें और मछली पालन करते थे. पिता ने बताया कि मनोरंजन दिल्ली जाते थे लेकिन कभी ये बताया नहीं कि वहां करते क्या थे.

नीलम की माँ सरस्वती ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा है कि उनकी बेटी नौकरी न मिलने की वजह से परेशान थी.

नीलम के छोटे भाई ने बताया, “उसने बीए, एमए, बीएड, एमएड, सीटीईटी, एमफिल और नेट क्वालिफाई किया था. उसने बेरोज़गारी का मुद्दा कई बार उठाया है. उसने किसान आंदोलन में भी हिस्सा लिया था.”

नीलम की मां सरस्वती ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत करते हुए कहा, “मुझे अफ़सोस नहीं हो रहा है. नीलम ने जो किया, वो उसने अपने हिसाब से सही किया है. वह बेरोज़गार थी, वह भटकती घूम रही थी. बहुत बच्चे ऐसे हैं, जो बिना रोजगार के भटक रहे हैं. उसने किसी पर जानलेवा हमला नहीं किया है. उसने बेरोज़गारी के हिसाब से कदम उठाया है.”

उन्होंने बताया, “वह रोज़गार को लेकर बहुत परेशान है और उसे ऐसा लगता था कि वह घर वालों पर बोझ है. मैंने अपनी बेटी को समझाया कि अगर तुझे नौकरी नहीं भी मिलेगी तो कोई बात नहीं. हम तुझे बोझ नहीं समझते हैं. वह नौकरी से बहुत परेशान थी, वह एक दो बार तो यह भी कहती थी कि मैं मर जाऊंगी.”

“हमारी कोशिश यही है कि सरकार उसे रोज़गार दे दे और हम माफी मांग लेंगे. हमारा किसी से कोई लेना-देना नहीं है. उसे राजनीति से तो बिना मतलब के जोड़ा जा रहा है.”

संसद भवन के बाहर नीलम के साथ प्रदर्शन करते समय गिरफ़्तार किए गए अमोल शिंदे महाराष्ट्र के लातूर ज़िले के रहने वाले हैं.

पुलिस की कई टीमें बुधवार को शिंदे के गांव पहुंचीं और उनके घर की तलाशी ली.

बीबीसी मराठी के अनुसार, अमोल शिंदे कुछ साल पहले तक पुलिस भर्ती के लिए तैयारी कर रहे थे. लेकिन पुलिस का कहना है कि वह लगातार परीक्षा में नाकाम रहे.

परिजनों का कहना है कि उन्हें अपने बेटे के बारे में कुछ नहीं मालूम.

पुलिस का कहना है कि वह अमोल और उनके परिजनों के बारे में और जानकारियां जुटा रही है.

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