हिमाचल प्रदेश में बारिश से भारी तबाही: सड़कें-पुल बहे और बत्ती गुल, अगले 24 घंटे अहम

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DMT : मंडी  : (10 जुलाई 2023) : –

हिमाचल प्रदेश में पिछले दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने पहाड़ी इलाक़ों में भारी तबाही मचाई है.

नदी-नालों में आए उफ़ान, भूस्खलन और मकान ढहने जैसी घटनाओं से हालात चिंताजनक हो गए हैं.

अब तक 17 लोगों की मौत की ख़बर है और आशंका जताई जा रही है कि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है.

सबसे ज़्यादा नुक़सान इस बार मंडी और कुल्लू ज़िलों में देखने को मिला है जहां पर ब्यास नदी में आई जलराशि ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

कुल्लू के औट से लेकर मंडी के धर्मपुर तक आधा दर्जन पुराने पुल बह गए हैं. इनमें से कुछ पुल तो 100 साल से भी पहले बने थे.

प्रदेश में 6 नेशनल हाइवे समेत 800 से अधिक छोटी-बड़ी सड़कें ठप हैं और लगातार हो रही बारिश के कारण इन्हें बहाल करने में भी दिक्कत हो रही है.

कुछ सड़कों को तो पुरानी स्थिति में आने में लंबा समय लग सकता है क्योंकि इन सड़कों का बड़ा हिस्सा या तो पानी में बह गया है या फिर भूस्खलन के कारण धंस गया है.

कुल्लू के लारजी पावर हाउस में भी पानी घुस गया जिससे काफ़ी नुकसान हुआ और भी कई हाइड्रो पावर हाउस बंद कर दिए गए हैं जिससे अन्य राज्यों को दी जाने वाली बिजली की सप्लाई बाधित हुई है.

प्रदेश भर में 4500 से अधिक बिजली ट्रांसफॉर्मर ठप होने से बिजली भी गुल है जिससे समस्या बढ़ गई है. बिजली न होने की वजह से कुछ आंतरिक इलाक़ों में मोबाइल सेवा भी बाधित हो गई है.

शनिवार शाम को शुरू हुई भारी बारिश से हुई तबाही का पता रविवार सुबह चला जब सोशल मीडिया फ्लैश फ़्लड और भूस्खलन की तस्वीरों और वीडियो से भर गया.

सुबह-सुबह ब्यास नदी के किनारे बसे पर्यटन स्थलों कुल्लू और मनाली में बसें और गाड़ियां अथाह जलराशि में तिनकों की तरह बहती नज़र आईं.

कुछ देर बाद जब यह पानी कुल्लू घाटी के प्रवेश द्वार औट पहुंचा तो वहां 100 साल पहले बना पुल लहरों में समा गया. आगे चलकर मंडी के पंडोह में बने बांध के जलाशय में पानी इतना ज़्यादा बढ़ गया कि बांध के सभी गेट खोलने पड़े.

कुछ ही देर में पंडोह का बाज़ार जलमग्न हो गया.

यहां रहने वाले रोहित कुमार बताते हैं कि लोगों को संभलने का मौक़ा तक नहीं मिला.

उन्होंने बताया, “सुबह लोगों की नींद ही उड़ गई. बांध प्रशासन ने अचानक इतना पानी छोड़ दिया कि घरों में पानी घुस गया, गाड़ियां फंस गईं. इतना नुकसान हो गया है, उसकी भरपाई कौन करेगा?”

कुछ देर में क़रीब 100 साल पहले बना पंडोह का झूला पुल भी नदी में समा गया.

पंडोह बांध के आगे जहां-जहां से ब्यास नदी गुज़रती है, दोपहर तक वहां से भी नुक़सान की ख़बरें आने लगीं.

ब्यास नदी के किनारे बसे ऐतिहासिक मंडी शहर में पानी चिंताजनक स्तर पर बढ़ गया. यहां नदी किनारे बने घरों में पानी घुस गया, मंदिर जलमग्न हो गए. कुछ ही देर में पानी 1877 में बने विक्टोरिया ब्रिज के ऊपर से बहने लगा.

मंडी शहर से आगे जब नदी धर्मपुर से होकर गुज़री तो वहां भी जलभराव जैसी स्थिति पैदा हो गई. हालांकि, यहां पर जगह की कमी होने के कारण अधिकतर सरकारी दफ़्तर और इमारतें नदी के बेड पर ही बनाई गई हैं जो अक्सर डूब जाती हैं.

अब आशंका यह है कि जब यह जलराशि कांगड़ा के मैदानी हिस्सों में पहुंचेगी तो वहां बने पौंग बांध का जलस्तर बढ़ सकता है. ऐसा हुआ तो ब्यास के नज़दीक बसे गांवों और क़स्बों में भी नुक़सान हो सकता है.

बचाव कार्यों में मुश्किल

बादल फटने जैसी स्थिति के चलते ब्यास नदी ने कुछ जगहों पर अपना रास्ता बदल लिया जिससे बड़ी संख्या में लोग फंस गए. मनाली में प्रशासन ने ऐसे 27 लोगों को रेस्क्यू किया है. रविवार को कुल्लू में सात लोगों को रेस्क्यू किया गया था.

कुल्लू के उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने सोमवार सुबह बताया, “पूरे प्रदेश में 55 घंटों से बारिश हो रही है और नदी-नाले उफन रहे हैं. दो दिनों में तीन जगहों पर पर्यटक फंसे हुए थे जहां उनकी जान को खतरा था. इन्हें सुरक्षित जगह पहुंचा दिया गया है. अभी कुल्लू में बाहर के पर्यटक फंसे हैं जो लौट नहीं पा रहे हैं लेकिन वो सुरक्षित हैं.”

उन्होंने कहा कि बारिश के कारण मोबाइल कनेक्टिविटी भी प्रभावित हुई है जिससे कुछ जगहों की जानकारी नहीं मिल रही है. ऐसे में वायरलेस सेवा का सहारा लेकर सूचनाएं जुटाई जा रही हैं.

यह कोशिश भी की जा रही है सड़कों को बहाल किया जाए लेकिन पहले मोबाइल नेटवर्क को बहाल करना है ताकि मुश्किल में फंसे लोगों का पता चल सके.

इसी तरह मंडी के नगवाईं में अचानक आई बाढ़ में छह लोग फंस गए थे जिन्हें एनडीआरएफ और जिला प्रशासन ने बीती रात दो बजे रेस्क्यू किया.

मंडी और कुल्लू के अलावा शिमला, सिरमौर, लाहौल-स्पीति में भी बारिश के कारण जान-माल के नुकसान की खबरें आ रही हैं.

मौसम विभाग के अनुसार रविवार को पूरे हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 10 गुना ज़्यादा वर्षा हुई है.

बारिश से प्रदेश भर में कितना नुक़सान हुआ है, इसका आकलन किया जा रहा है. इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है.

मुख्यमंत्री ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है जो प्रभावित इलाकों का दौरा करके नुक़सान का आकलन करेगी. इस कमेटी में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी भी हैं.

प्रदेश सरकार ने राहत और बचाव कार्यों के लिए 1100, 1070 और 1077 टोल फ्री नंबर जारी किए हैं.

बरसात के मौसम में हिमाचल प्रदेश की जलधाराओं में उफ़ान आना स्वाभाविक है. घाटियों से निकलने वाली नदियां और जलधाराएं (जिन्हें खड्ड कहते हैं), एक संकरे रास्ते से गुज़रती हैं.

अधिकतर सड़कें और हाइवे भी इन्हीं नदियों के किनारे से गुज़रते हैं. ऐसे में जब कभी पानी बढ़ता है, तब इन सड़कों और नदी के किनारे बनाए गए मकानों या होटलों को नुक़सान पहुंचता है.

नदियों में गाद वाला पानी आने के कारण पन विद्युत परियोजनाओं को अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ता है. बहाव तेज़ हो तो इन परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचता है और नदी से पीने के लिए उठाए जाने वाली पानी की परियोजनाएं भी बह जाती हैं.

इसके अलावा, लगातार होने वाली बारिश उन जगहों में भूस्खलन लाती है, जहां ज़मीन कच्ची होती है. इससे सड़क और रेल यातायात पर लंबे समय तक असर पड़ता है.

बारिश को देखते हुए स्कूलों में दो दिन की छुट्टियां घोषित की गई हैं, जिन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है.

जिन हिस्सों में भारी बारिश के कारण तबाही मची है, उनके लिए मौसम विभाग ने रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया था. यह अलर्ट सोमवार शाम तक है.

इन हिस्सों में अभी भी रुकरुक कर बारिश हो रही है. अगर बारिश तेज़ हुई तो हालात और चिंताजनक हो सकते हैं. ऐसे में आने वाले 24 घंटे काफी अहम होने वाले हैं.

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